अब चौपाल, दावें और वादों का पेंच
जबलपुर यश भारत। विधानसभा चुनाव को लेकर ग्रामीण चौपाल में चर्चा शुरू हो चुकी है जहां एक ओर सत्तासीन पार्टी अपने 5 साल के कार्य बताकर चुनावी दावों पर रस्सा कसी कर रही है तो वहीं कांग्रेस बदलाव का बिगुल बजाते हुए आर्थिक संपन्न प्रदेश बनाने को लेकर मतदाताओं के बीच में है।
महाकौशल की सिहोरा विधानसभा सीट की बात करें तो इस बार यहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ी टक्कर है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि बीजेपी ने तीन बार चुनाव जीतने वाली अपनी विधायक नंदनी मरावी का टिकट काट दिया। उनके स्थान पर पार्टी ने संतोष वरकड़े को मैदान में उतारा है वहीं, अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो कांग्रेस ने महिला नेत्री एकता ठाकुर पर भरोसा किया है।
तो वहीं दूसरी ओर जबलपुर ग्रामीण और शहरी आबादी मिक्स एक बड़ी विधानसभा के रूप में पहचान रखने वाली पनागर की राजनीतिक पृष्ठभूमि विकास के साथ-साथ जातीय समीकरणों पर भी केंद्रित रही है। बीते 2 विधानसभा चुनाव से मौजूदा विधायक का जनाधार लगातार बढ़ा है। बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे वाले सुशील तिवारी इंदू फिलहाल इस विधानसभा सीट से विधायक हैं, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती माने जा रहे हैं।
साल 2013 का चुनाव हो या साल 2018 के विधानसभा चुनाव, पनागर विधानसभा सीट में बीजेपी का कद लगातार बढ़ता ही गयाहै। लगातार 20 सालों से अधिक वक्त बीत गए हैं और यह सीट बीजेपी के पाले में ही है। तो वही कांग्रेस ने यहां से राजेश पटेल को टिकट दी है।
योजनाओं की उधेड़बुन
ग्रामीण चौपाल में यह चर्चा आम है की सत्ता सीन पार्टी की योजनाएं महंगाई पर कितना प्रभावी है लगातार बढ़ती महंगाई बेरोजगारी से आमजन प्रताड़ित है स्थिति इतनी विकराल है की युवा अब ग्रामीण क्षेत्र से लगातार पलायन कर रहे तो वहीं शहरों में भी काम की बेहद कमी है। योजनाओं का झुनझुना कितना प्रभावित होता है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल प्रताड़ित आमजन अब बदलाव चाहते हैं।