जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

कोर्ट पहुंचा सब इंजीनियर ग्रुप-थ्री की भर्ती प्रक्रिया का मामला, आरक्षण के प्रविधान के उल्लंघन को दी गई चुनौती

जबलपुर । हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिए सब इंजीनियर ग्रुप-थ्री की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के प्रविधान के उल्लंघन को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कम अंक पाने वालों को नियुक्ति दी गई है, जबकि अधिक अंक पाने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। याचिका में मांग की गई है कि पुलिस आवास विभाग के प्रबंध संचालक के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की जाए।

कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

 

न्यायमूर्ति मनिंदर भट्टी की एकलपीठ ने मामले में प्रारंभिक सुनवाई के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, गृह विभाग के प्रमुख सचिव, मप्र पुलिस आवास एवं अधोसंरचना विकास निगम के प्रबंध संचालक, कर्मचारी चयन आयोग व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। साथ ही अंतरिम आदेश के जरिए उक्त नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है।

 

सब इंजीनियर के पदों पर नियुक्तियां

याचिकाकर्ता सिवनी निवासी रश्मि राय की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश के 34 विभागों में सब इंजीनियर के पदों पर दो हजार से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्तियां की गई हैं। उक्त नियुक्तियों में सम्वधित विभाग प्रमुखों ने मध्य प्रदेश (लोक सेवा) आरक्षण अधिनियम 1994 के प्रविधानों के विपरीत मनमाने तरीके से नियुक्तियां दे दी हैं। आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को नियमानुसार अनारक्षित वर्ग में नियुक्त किया जाना चाहिए था लेकिन विभाग प्रमुखों द्वारा कम अंक प्राप्त अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी हैं।

 

120 नंबर वाले को नहीं मिली नियुक्ति, 115 वाले नियुक्त

भर्ती परीक्षा 2022 में याचिकाकर्ता ने 120.61 अंक हासिल करके मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त किया गया, लेकिन उसे नियुक्ति नहीं दी गई, जबकि उससे कम अंक प्राप्त 116.3 तथा 115.44 व 115.14 पाने वालों को प्रवंध संचालक पुलिस आवास निगम ने नियुक्ति दे दी। लिहाजा, उक्त मनमानी नियुक्तियां निरस्त की जाएं और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 6(2) के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए। प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने उक्त नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है।

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