नॉर्थ ईस्ट की पार्टियों ने किया विरोध, कहा- इससे अधिकारों पर अंकुश लगेगा
गुवाहाटी, एजेंसी। . समान नागरिक संहिता को लेकर अब बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन में दरार दिखाई देने लगी है. एनडीए के नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की कई सहयोगी पार्टियों ने इसे लेकर अपनी असहमति जाहिर की है. उन्हें डर है कि यूसीसी के कारण 200 से अधिक सांस्कृतिक रूप से विविध स्वदेशी जनजातियों के निवास वाले इलाके में उनकी आजादी और अधिकारों पर अंकुश लग सकता है. भारत की 12 फीसदी से अधिक जनजातीय आबादी पूर्वोत्तर के राज्यों में रहती है. यूसीसी विरोधी आवाज उठाने वालों में शामिल होने वाले नॉर्थ ईस्ट के सबसे नए नेता मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा हैं.। एक अंग्रेजी दैनिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक होने के बावजूद कॉनराड संगमा ने अपनी नेशनल पीपुल्स पार्टी के मत को सामने रखते हुए कहा कि ‘यूसीसी भारत के वास्तविक विचार के खिलाफ है.कॉनराड ने कहा कि ‘एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृतियां हैं. हम चाहते हैं कि ये बनी रहें और इन्हें छुआ न जाए.जबकि नागालैंड में भाजपा की अन्य सहयोगी सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने शनिवार को घोषणा की थी कि ‘यूसीसी को लागू करने से भारत के अल्पसंख्यक समुदायों और आदिवासी लोगों की आजादी और अधिकारों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि मिजोरम की 94 फीसदी से अधिक जनजातीय आबादी इन राज्यों में सबसे अधिक है. उसने पिछले फरवरी में अपनी यूसीसी विरोधी स्थिति को मजबूत कर लिया था. विधानसभा ने सर्वसम्मति से यूसीसी का विरोध करने के लिए एक आधिकारिक प्रस्ताव अपनाया था. शुक्रवार को मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने कहा कि ‘भले ही यूसीसी को संसद से कानून बनाया जाएगा, मगर मिजोरम में इसे तब तक लागू नहीं किया जाएगा जब तक कि राज्य विधानमंडल एक प्रस्ताव के जरिये ऐसा फैसला नहीं लेता. वहीं असम में बीजेपी की सहयोगी एजीपी मंगलवार को यूसीसी के मुद्दे पर अपने रुख पर चर्चा कर सकती है।
कांग्रेस केंद्र को घेरने की तैयारी में
उधर कांग्रेस शनिवार को भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर अपने रुख पर कायम रही और कहा कि इस स्तर पर इसे लागू करना ठीक नहीं है. पार्टी ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर कोई मसौदा विधेयक या रिपोर्ट आती है, तो फिर वह कोई टिप्पणी करेगी. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने संसदीय रणनीति समूह की बैठक की, जिसमें उसने 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.मणिपुर हिंसा, पहलवानों का विरोध, मुद्रास्फीति, बढ़ती बेरोजगारी और विभिन्न राज्यपालों के आचरण को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में है. बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी समान नागरिक संहिता पर 15 जून को पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है और यूसीसी को लेकर कांग्रेस के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों के दौरान इस मामले में कुछ अतिरिक्त नहीं हुआ है, इसलिए पार्टी के पास अभी इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है.