जेडीए की वक्रदृष्टि जॉय स्कूल पर- विज्ञापन प्राइमरी स्कूल के नाम से, लीज़ मैं लिख दिया शैक्षणिक कार्य
जेडी अधिकारियों ने की शब्दों की हेरा-फेरी, मेबन ने प्राइमरी की जगह तान दिया हाई स्कूल

जबलपुर यश भारत। विजय नगर स्थित जॉय स्कूल के मामले में जीडीए अधिकारियों द्वारा जांच शुरू कर दी है। जिसको लेकर पिछले दिनों कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा शिकायत की गई थी की स्कूल की लीज प्राइमरी स्कूल बनाने के लिए जारी की गई है। लेकिन स्कूल संचालक द्वारा यहां हाई स्कूल का निर्माण कर लिया गया है। जिसके बाद जीडीए के अधिकारी पूरे मामले की जांच में जुटे हुए हैं और जिसके बाद बहुत सारी खामियां सामने आ रही हैं। जेडीए अधिकारियों की मानें तो जो उक्त भूखंड के लिए विज्ञापन जारी किया गया था वह प्राइमरी स्कूल के लिए जारी हुआ था। उसके बाद जिन लोगों ने इस भूखंड को लेने के लिए आवेदन किया था तो उन्होंने भी प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए आवेदन किया गया था। लेकिन जॉय स्कूल को लीज जारी की गई है उसमें भूखंड का उपयोग शैक्षणिक कार्य के लिए बताया गया है।
शब्दों का चल रहा खेल
यश भारत को मिली जानकारी के मुताबिक इस पूरे मामले में जो लिस्ट तैयार की गई है उसमें शब्दों की बाजीगरी करके स्कूल प्रबंधन को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि विज्ञापन जिस मदद के लिए जारी होता है लीज भी उसी मद के लिए दी जाना चाहिए । विभागीय सूत्रों की मानें तो कुछ लोग इस मामले को शब्द की त्रुटि बता कर स्कूल के पक्ष में निर्णय कराने की भूमिका बना रहे हैं। लेकिन विज्ञापन आलावा जीडीए की जो योजना तैयार की जाती हैं उसमें मद पूरी तरह से निर्धारित होती हैं और उसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता जिसको लेकर जेडीए के ही पूर्व में कई निर्णय है। ऐसे में प्राइमरी स्कूल की जगह लीज में शैक्षणिक उपयोग लिखकर लीज स्वामी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने की मंशा स्पष्ट नजर आ रही है। जिसको लेकर यश भारत के पास और भी दस्तावेज हैं जो विभिन्न विभागों के माध्यम से प्राप्त हुए हैं । जो जेडीए अधिकारियों की मनसा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं।
इन का कहना
जॉय स्कूल की लीज़ के मामले में जांच चल रही है जिसमें विज्ञापन और लीज में अलग-अलग मद सामने आई है। जिसको लेकर सारे दस्तावेज निकाले जा रहे हैं और पुराने आदेशों को भी खंगाला जा रहा है।
प्रशांत श्रीवास्तव
सीईओ जेडीए