जबलपुरमध्य प्रदेश

गोरखपुर में 16 साल बाद दर्ज हुआ अपहरण का मामला , 14 साल की बालिका जबलपुर से हुई थी गायब

नियमों के ना बनने से दर्ज नहीं हो रहा था अपहरण का केस, पीडि़ता के पिता ने लड़ी लंबी लड़ाई

 ………….. अनुराग तिवारी………………………..

जबलपुर, यशभारत। जबलपुर के गोरखपुर से एक 14 वर्षीय बालिका का अपहरण हुआ था। लेकिन नियमों के आड़े आने के चलते पुलिस ने मामले में गुमइंसान का केस दर्ज किया था। जिसके बाद पीडि़ता का पिता लगातार प्रयास करता रहा कि गुमइंसान का केस के बजाए पुलिस अपहरण का मामला दर्ज करे। लेकिन अंतत: करीब 16 वर्ष के बाद पुलिस ने इस मामले में अपहरण का मामला दर्ज कर, नाबालिग की तलाश शुरु कर दी है।

दो जून की रोटी कमाने के लिए डिंडौरी के गांव से निकलकर जबलपुर आए। सोचा कि यहां मजदूरी कर परिवार का पेट तो भर सकूंगा। लेकिन यहां आने के कुछ दिनों बाद 14 वर्षीय बेटी अचानक घर से गायब हो गयी। आसपास पता किया, लेकिन कहीं भी बेटी का पता नहीं चल सका। किसी ने बताया कि पास के पुलिस थाने जाओ…वहां रपट लिखवाओ, बेटी मिल जाएगी। मजबूर और लाचार पिता सीधे थाने पहुंचा, जहां पुलिस ने गुमइंसान कायम कर मामला तो दर्ज कर लिया। लेकिन बेटी का कहीं पता नहीं चल सका। पूरा मामला वर्ष 2006 का है। जब गोरखपुर से एक बेटी का अपहरण हो गया था। पिता लगातार पुलिस से मिन्नते करता रहा कि उसकी बेटी का अपहरण हुआ है, लेकिन पुलिस ने गुम इंसान कायम किया।

यह है पूरा मामला
गोरखपुर थाना अंतर्गत हाथीताल में रहकर मजदूरी कर रहे संदीप सिंग पिता आरके सिंग ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि उनकी बेटी हाथीताल से गायब हो गयी है। मामले में पुलिस ने गुमइंसान कायम कर, तफ्तीश कर रही थी। लेकिन कहीं भी गायब नाबालिग का पता नहीं चल सका।

पुलिस ने दर्ज नहीं किया अपहरण का मामला
पीडि़त ने पुलिस से लाख मिन्नतें कर बताया कि किसी अज्ञात युवक ने उसकी नाबालिक किशोरी को बहलाकर ले गया है। वह उसके साथ गलत काम भी करेगा और आशंका है कि वह उसकी बेटी को कहीं बेंच भी दे। तो वहीं पुलिस ने मामले में अपहरण का केस दर्ज नहीं किया।

16 साल तक धक्के खाता रहा मजबूर पिता
बेटी के गायब हो जाने के बाद पिता ने आखिर ठान ही लिया कि वह बेटी के गुनहगारों को सजा दिलवाकर रहेगा। लेकिन पुलिस ने गुमइंसान ही कायम किया था। जिसके बाद पिता 16 साल तक शिकायतें की करता रहा।

सीएम हेल्प लाइन से मिली राहत
कानून और वरिष्ठ अधिकारियों को मिन्नतें करने के बाद पीडि़त ने सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की। जिसके बाद कहीं जाकर पीडि़त की फरियाद पर पुलिस ने वर्ष 2006 के मामले में 2022 को अपहरण का मामला दर्ज किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
गोरखपुर थाना प्रभारी शिवेश सिंग बघेल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि गुमइंसान के मामलों में नाबालिकों के लिए अपहरण 363 के मामले दर्ज किए जाएं। आदेश के पालन में यह मामला गुमइंसान से अपहरण के प्रकरण में दर्ज किया गया है।

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