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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का फैसला : SAF पुलिस आरक्षकों को चॉइस के आधार पर जिला पुलिस बल,स्पेशल ब्रान्च में पदस्थापना के आदेश 

जबलपुर, यशभारत। आज मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस ओबीसी/एससी/एसटी वर्ग के आरक्षकों राहत देते हुए डारेक्टर जनरल आफ पुलिस तथा ए. डी. जी.(प्रशासनिक) को हाईकोर्ट द्वारा 2 माह के अंदर चॉइस के आधार पर पदस्थापना देने के आदेश दिए गए है ।

वर्ष 2017 की पुलिस भर्ती में आरक्षित (OBC/SC/ST) के अभ्यर्थी मेरिट में टॉप होने पर उनका चयन अनारक्षित(ओपन) वर्ग में किया गया था लेकिन उनको उनकी पसंद चॉइस फिलिग के आधार पर उनकी पसंद की पोस्टिंग नही की जाकर उन सभी आरक्षित वर्ग के जो अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए थे उन सभी को प्रदेश की समस्त SAF बटालियनों में पदथापना दी गई थी । जबकि उनसे काम मेरिट बालो को जिला पुलिस बल,स्पेशल ब्रांच,क्राइम ब्रांच आदि शाखाओ में पदस्थापना दी गई है । अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने आरक्षित वर्ग के आरक्षकों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने मध्यप्रदेश उच्च में याचिका दायर की गई थी याचिका की प्रारंभिक सुनवाई आज दिनांक 12 मई 22 को जस्टिस अतुल श्रीधरन की बैंच द्वारा की गई । अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2017 की भर्ती में अपनाई गई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश एवम फैसलो से असंगत है सुप्रीम कोर्ट के 9 जजो की बैंच द्वारा इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ, भारत संघ वनाम रमेश राम, रीतेश आर शाह जैसे दर्जनों फैसलो से कोर्ट को अवगत कराया गया तथा बताया गया की आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी को अपनी पसंद के पद पर पदस्थापना प्राप्त करने का विधिक अधिका है । अर्थात याचिका कर्ताओ ने अपनी पहली पसंद की वरीयता में जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच,आदि प्रस्तुत की गई थी लेकिन पुलिस विभाग ने मनमाने रूप से पदस्थापना की गई है जो याचिका कर्ताओ से कम अंक अर्जित करने वाले है उन्हें महवपूर्ण शाखाओ में पदस्थापना दी गई है जबकि याचिका कर्ताओ को उनकी केटेगिरी में उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना की जाना चाहिए थी । तथा अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसलो को ‘जजमेंट इन रेम’ बताया गया (जजमेंट इन रेम का मतलब होता है कि एक पालिसी विशेष पर दिया गया फैसला जो शास्वत रहता है) अधिवक्ता रामेश्वर सिंह के उक्त तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने याचिका को अलाव करते हुए, ग्रह सचिव,पुलिस महानिदेशक,अतिरिक्त पुलिस महा निरीक्षक को आदेश दिनांक से 60 दिनों के अंदर याचिका कर्ताओ को सुप्रीम कोर्ट के फैसलो के आलोक एवम रोशनी में याचिकारो को उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना देने का आदेश दिया गया । याचिका क्रमांक 9861/2022 की पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह,रामभजन लोधी,अंजनी कबीरपंथी ने की ।

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