सूर्योदय पर अर्घ्य के साथ छठ महापर्व का समापन,संस्कारधानी में बिखरी पूर्वांचल की छटा
आस्था का सैलाब और पर्व का उल्लास उमड़ा नर्मदा तटों पर

जबलपुर,यशभारत।लोक आस्था और श्रद्धा का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा आज उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से संपन्न हुआ। संस्कारधानी जबलपुर में नर्मदा के तटों और शहर के सरोवरों पर हजारों श्रद्धालु सुबह से ही एकत्र हुए। आस्था, भक्ति और उल्लास का संगम देखकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो पूरी नगरी छठमय हो गई हो।
भोर में नर्मदा तटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए भोर होते ही श्रद्धालु महिलाएँ साड़ी में पारंपरिक साज-सज्जा के साथ पूजा सामग्री लेकर घाटों की ओर पहुँचीं। नर्मदा तट, भेड़ाघाट, ग्वारीघाट, हनुमानताल, रानीताल, देवताल और अन्य सरोवरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने आस्था का विराट दृश्य प्रस्तुत किया। हर ओर “छठी मइया की जय” और “जय सूर्य भगवान” के जयघोष गूंजते रहे।

ढोल-ढमाकों और भोजपुरी गीतों से गूंजा वातावरण
पूरे माहौल में लोक संस्कृति और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला।ढोल, मंजीरे और झांझ की ध्वनियों के बीच महिलाओं ने परंपरागत भोजपुरी छठ गीत गाए —“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…”इन गीतों ने नर्मदा तटों को पूर्वांचल की छटा से भर दिया। श्रद्धालु नाचते-गाते हुए भक्ति में लीन दिखाई दिए।

सरोवरों और घाटों पर मेला-सा माहौल
पूरे जबलपुर में छठ पूजा को लेकर मेला जैसा दृश्य रहा। पूजा स्थलों को रंग-बिरंगी झालरों, फूलों और दीपों से सजाया गया।
बच्चों ने आतिशबाजी की तो बुजुर्ग श्रद्धालुओं ने व्रती महिलाओं को आशीर्वाद दिया।हर घाट पर नगर निगम व पुलिस प्रशासन की टीमों द्वारा साफ-सफाई, रोशनी और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए। रातभर जागरण और संगीत कार्यक्रमों के बीच श्रद्धालु परिवारों ने घाटों पर ही रात्रि व्यतीत की।

अर्घ्य के साथ पूर्ण हुआ लोकआस्था का पर्व
सूर्य की पहली किरण जैसे ही नर्मदा की लहरों पर पड़ी, श्रद्धालु महिलाओं ने जल में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित किया। सूर्योपासना के इस क्षण ने वातावरण को अध्यात्म और श्रद्धा से भर दिया। अर्घ्य के बाद प्रसाद वितरण और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देने का सिलसिला शुरू हुआ।

संस्कारधानी में झलकी पूर्वांचल की संस्कृति
जबलपुर की धरती पर इस पर्व ने पूर्वांचल की संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवंत कर दिया। हर गली, हर मोहल्ले और घाट पर छठ मइया के गीतों की गूंज सुनाई दी। लोगों ने कहा कि छठ पूजा अब केवल पूर्वांचल का नहीं, बल्कि पूरे देश की आस्था का प्रतीक बन चुकी है।
प्रशासन और समाजसेवियों ने की व्यवस्था
शहर के विभिन्न घाटों पर नगर निगम, पुलिस विभाग, स्वास्थ्य अमले और सामाजिक संस्थाओं के स्वयंसेवकों ने मोमबत्ती, सफाई, सुरक्षा और चिकित्सा व्यवस्था में सहयोग दिया। महिलाओं और बच्चों की सुविधा के लिए अतिरिक्त प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की व्यवस्था की गई थी।
भक्ति और उल्लास का प्रतीक बना पर्व

छठ पर्व ने जबलपुर में धार्मिक समरसता और लोक संस्कृति की एकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। सूर्योदय के साथ ही व्रती महिलाओं ने नर्मदा जल में डूबकर सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया और इस प्रकार चार दिवसीय यह महापर्व हर्ष और उल्लास के साथ संपन्न हुआ।







