प्रजातंत्र की रीढ़ रूल आफ लॉः विवेक कृष्ण तन्खा
सरकार से लेकर कानून व्यवस्था पर रखी अपनी बात

जबलपुर, यशभारत। राज्य सभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण् तन्खा ने एक बार फिर सरकार और कानून व्यवस्था को लेकर अपनी बात कही है। श्री तन्खा द सूत्र पत्रकार आनंद पाण्डे के साक्षात्कार में बोल रहे थे। उनसे जब लोगों को न्याय मिलने पर हो रही देरी को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि प्रजातंत्र की रीढ़ होती रूल ऑफ लॉ और रूल रूल ऑफ लॉ का बैकबोन होता है जुडिशरी। क्योंकि जुडिश एक इंडिपेंडेंट जुडिशरी का क्या रोल होता है जो डिस्प्यूट्स होते हैं। बिटवीन सिटीजंस और स्टेट्स सिटीजन एंड सिटीजन तो अल्टीमेटली अगर कोई भी सभ्यसमाज होगा तो इट नीड्स अ फोरम फॉर रेोल्यूशन ऑफ दोज डिस्ट उसके बिना आप आगेबढ़ोगे कैसे नहीं तो फिर जंगल राज है हम तो जंगल राज से बचने के लिए यह एक व्यवस्था ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम सेंचुरीज में इवॉल्व हुई हम जिस सिस्टम को फॉलो करते हैं इसको लोग कहते हैं वेस्ट मिनिस्टर सिस्टम पार्लियामेंट्री सिस्टम भी और जुडिशियल सिस्टम भी तो यह ट्रस्ट का है । जब ट्रस्ट खत्म होता है तो इस सिस्टम को भी चोट लगती है। श्री तन्खा ने चर्चा में कहा कि अभी यशवंत वर्मा जी का जो एपिसोड है जी उससे बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह हमारे जुडिशरी पे लगा है । सच है झूठ है नहीं पता है । रिपोर्ट को लेकर भी संशय है। रिपोर्ट अभी नहीं आई है रिपोर्ट में जो विलंब हो रहा है उसको उसको लेकर भी अशांति है । श्री तन्खा ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने कह दिया हम सोच नहीं सकते थे कि इस इस स्तर तक जुडिशरी के अगेंस्ट डिसेंट पहुंच सकता है तो वो एक बहुत बड़ा प्रश्न जब आप देश की बात करते हो ना जुडिशरी की बात करते हो लॉ की बात करते हो तो आपको राजनीति से उठ के बात करनी पड़ेगी। क्योंकि ये कानून व्यवस्था की बात है ये किसी वोट बैंक की बात नहीं है । श्री तन्खा ने कहा कि 3.5 करोड़ केसेस पेंडिंग है यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है और इसका आंसर तो हमको देना ही पड़ेगा। कंज्यूमर ऑफ जस्टिस कौन है जनता। लोगों को ऐसा लगने लगता है कि ये अदालत का सिस्टम जजों के लिए वकीलों के लिए है उनका मतलब रहता है कि जजेस अच्छे से रहते हैं और सुरक्षित हैं।
कोर्ट में बैठने की व्यवस्था है तो सिर्फ जज-वकीलों के लिए
विवेक तन्खा कहा कि वकील वर्ग संगठित है इसलिए एक प्रकार से उनकी बारगेनिंग चिप ज्यादा है ज्यादा है तो दोनों चीज गलत है ।कंज्यूमर ऑफ जस्टिस तो जनता है ये व्यवस्था जनता के लिए है जिसको वहां सबसे कमेंस मिलती है । कोर्ट में देखा जाए तो बैठने की व्यवस्था है तो जज और वकीलों के लिए है ,कंज्यूमर के लिए नहीं है। लोगों को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में देखा जाता है तो लोग बाहर खड़े रहते हैं उन्हें कुर्सी तक अवेलेबल नहीं रहती है। श्री तन्खा ने कहा कि अगर वह लॉ मिनिस्टर होते तो बदलाव कर देता है परंतु आज ये रहा है कि बदलाव पर ध्यान देने की वजाए विवादित केसों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
कश्मीर में कुछ नार्मल नहीं हुआ, कश्मीरी पंडित नहीं जा पा रहे हैं
श्री तन्खा ने बीजेपी सरकार की व्यवस्थाओं पर कहा कि बीजेपी अपनी चेस्ट थंपिंग करती है। कोर्ट और हर जगह वो चाहते हैं जो वो कहे वैसा हो जाए। हमेशा कहते रहते हैं हम ये चेंज ला रहे हैं। लेकिन मेरा सवाल यही है कि चेंज तो पार्टी ही लाती है फिर क्यों चेस्ट थंपिंग होती है। लेवल की आप चेस्ट स्टंपिंग करते हो उसकी आवश्यकता नहीं है। बार-बार अमित शाह को और बीजेपी को आगाह करता था जब वो पार्लियामेंट में जोर-जोर के बोलते थे कश्मीर नॉर्मल हो गया है । मैं कहता रहा भाई साहब कश्मीर को समझो हम जब कश्मीरी पंडित वापस नहीं जा पा रहा है तो नॉर्मल कैसे हो गया है । लेकिन जो बात वो बोलते थे वो कश्मीर के लिए नहीं थी वो देश के लिए थी। बीजेपी का हमेशा कहना रहता था कि कश्मीर को ठीक किया इसलिए हमको वोट दो। ये एटीट्यूड नहीं होना चाहिए एटीट्यूड एक लीडर का एक स्टेट्समैन का संवेदनशील होना चाहिए ।
सिस्टम चलाना है मो संस्थाओं को शक्तिशाली बनाना होगा
श्री तन्खा ने कहा कि जब तक अपनी संस्थाओं को हम शक्तिशाली नहीं बनाएंगे, लोगों को सम्मान नहीं देंगे तो सिस्टम नहीं चलेंगा। लॉ की बात करे तो एक माहौल बना दिया जब भी कोई पावरफुल चीफ प्राइम मिनिस्टर आता है तो वो ये माहौल बनाता है कि ये संस्था मेरे अकॉर्डिंग चलेगी। इमरजेंसी मूवी का जिक्र करते हुए श्री तन्खा ने कहा कि मेरे पिता जी जज थे बहुत से कानून रोके गए उस समय। स्पष्ट रूप से बोलता हूं मेरा संबंध पॉलिटिक्स से है वो रूल ऑफ लॉ को अपोल्ड करने के लिए है। इमरजेंसी के समय भी कानून आए थे जो बाद में स्ट्राइक डाउन हुए। अगर मैं किसी पार्टी के साथ हूं मैं पार्टी को उसका माध्यम बनाना चाहता हूं । मेरे लिए पार्टी अंत नहीं है एंड इशू इज माय कंट्री मतलब पार्टी एक माध्यम होती है अपने कंट्री की इस प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने का है जब तक हम ये बात नहीं समझेंगे तब तक चीजें नहीं बदलेंगी।
जुडिशरी को भी इंट्रोस्पेक्शन करना चाहिए
श्री तन्खा ने कहा कि जुडिशरी को भी इंट्रोस्पेक्शन करना चाहिए एक्सैक्टली दो पूर्णत हर चीज के लिए जुडिशरी जिम्मेदार नहीं है और ये कॉम्प्लेक्स इशू होता है इशू नो डाउट एक एक सिंग में हम बात नहीं कर सकते बट यू आर राइट जुडिशरी को इंट्रोस्पेक्ट करना चाहिए जजेस को इंट्रोस्पेक्ट करना चाहिए वकीलों को इंट्रोस्पेक्ट करना चाहिए। एट द टॉप ऑफ अ हैट हम स्ट्राइक पे चले जाते हैं किसी की बेल पिटीशन लगी है वो बेचारा खड़ा है उसका लगता है कि आज मेरी बहस होगी शाम तक बेल हो जाएगी कल मैं छूट जाऊंगा हो सकता है वो निर्दोष भी हो हम मतलब दो सेकंड में वो केसेस एडजॉर्न हो जाते हैं । क्योंकि वकील नहीं आ रहे और ये इतना रैंपेंट हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कितने जजमेंट में बोला कि ये गलत है उन जजमेंट को भी कोई नहीं सुनता ना समझता तो ये एक समवेयर आई फील दिस इज लीगल लॉलेसनेस लीगल लोलेसनेस। जब तक हम ये लीगल लॉलेसनेस को कर्व नहीं करेंगे अपने आप पर अंकुश नहीं लगाएंगे ,डिसिप्लिन में नहीं लाएंगे चाहे वो सरकार हो चाहे वकील वर्ग हो या जुडिशरी हो तब तक चीजें नहीं बदलेगी। वक्फ एक्ट को लेकर श्री तन्खा कहा कि विवादित मामलों को तूल नहीं देना चाहिए सरकार या कोर्ट ऐसे मामलों में निर्णय लेने के पहले कई बार विचार करना चाहिए।
एनजीएससी होना चाहिए या कॉलेजियम होना चाहिए
श्री तन्खा ने कहा कि एनजीएसी अब होगी तो ट्रांसपेरेंसी ज्यादा होगी मगर समस्या यह है कि इस वक्त करंट गवर्नमेंट का रवैया है वो किसी इंडिपेंडेंट वकील को जज ही नहीं बनने देती है।मतलब फॉरगेट कि कोई कांग्रेस वाले को वकील नहीं बनाओ ठीक है कांग्रेस के जो विचारधारा के लोग हैं आप उनको वकील मत बनाओ जज ना बनाओ हां जी बट इंडिपेंडेंट लोगों को तो बनाओ बल्कि बनना ही। इंडिपेंडेंट लोगों को चाहिए बट वो चाहते हैं कि हमारी विचारधारा के लोग हैं वही जज बने । ं नाम क्लियर नहीं करते हैं सालों तक नाम दबा के रखते हैं तो आप क्या ये व्यवस्था चाहते हो हम तो इन्होंने विश्वास उठा दिया है । इतने सारे लोग जो एनजी जो एनजीएसी के पक्ष में थे जी हमारे जैसे लोग जो कॉलेजियम के अगेंस्ट है मगर हम गवर्नमेंट को ये ये अधिकार नहीं देना चाहते हम चाहते हैं एनजीसी को भी रिफॉर्म करो । अगर आपका आपका केस किसी कोर्ट में पेंडिंग है और आपको अधिकार दिया जाता है कि आप उस जज की नियुक्ति में आप एक पार्टनर रहोगे तो आप कैसे डील करोगे। यूके में है जी यूके में गवर्नमेंट का इंटरफेरेंस नहीं है अपॉइंटमेंट में जो जरिस्ट होते हैं हम जो बार एसोसिएशंस होती है आप बताओ कौन जानता है किस वर्ग के पास सबसे अच्छी जानकारी है कि सबसे अच्छे जज के कैंडिडेट कौन होंगे ये तो आपकी फर्टिलिटी के लोग पता जाएंगे आप इस फ्रेटनिटी से पूछते हो आप बाहर से पूछते हो आप बार काउंसिल से पूछते हो तो आपको बेसिकली बार एसोसिएशंस बार काउंसिल्स को भी इनवॉल्व करना चाहिए ।
जिनके रिश्तेदार कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वहां जज न बनाए जाए
जिन लोगों के रिश्तेदार अगर उस हाई कोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं तो ऐसे जज को उस कोर्ट में मत रखिए। उदाहरण के तौर पर मेरा बेटा जबलपुर में प्रैक्टिस करता है सपोज मैं जबलपुर में अगर जज बनना चाहता हूं तो जब तक मेरा बेटा प्रैक्टिस कर रहा है जबलपुर में मुझे वहां जज नहीं बनना चाहिए क्योंकि इनविटेबल है आइडियली बट ऐसा हो नहीं रहा मे बी मेक दिस अ रूल मेक दिस अ मेथड ऑफ अपॉइंटमेंट एज आई सेड सशंस हैं । प्रॉब्लम है कि उन सशंस को अप्लाई करने में इंटरेस्ट नहीं है लोगों का कि सबके अपने इंटरेस्ट जुड़े हैं बेस्ट इंटरेस्ट जुड़े हैं क्योंकि जब मैं अपने लोगों को बनाता हूं तो मैं चाहता हूं कि मैं उनको अपनी जगह रखूं जहां मेरा वर्चस्व बना रहेगा। प्रॉब्लम ये बताई जाती है हम लोगों को कि कॉलेजियम जजेस भी अपने-अपने स्टेट में कंट्रोल रखना चाहते हैं।
पार्टी को पब्लिकली डिस्कस करना उचित नहीं
श्री तन्खा एक सवाल के जवाब पर कहा कि पार्टी को पब्लिकली डिस्कस करना मैं उचित नहीं समझता हू।ं क्योंकि मेरा डिस्कशन अगर पार्टी में रिफॉर्म का होगा चाहिए विद इन द पार्टी होना चाहिए तो मैं स्पष्ट रूप से बोलता हूं कि मैं बट अगेन प्रजातंत्र का मैं एक सिपाही हूं । पार्टी के भीतर के मामले को बाहर बात करने लगेंगे तो पार्टी में एक अनुशासन खत्म होता है आप किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में रहो आप े उसकी बुराई अगर बाहर जाके करोगे तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। श्री तन्खा ने कहा कि प्रजातंत्र में विपक्ष अच्छा रहे ये जरूरी है कांग्रेस को वो सब कमियां दूर करनी चाहिए जिससे कि विपक्ष और मजबूत हो हम अब उसकी डिटेलिंग क्या होगी वो कांग्रेस पार्टी की विद इन डिसाइड होगा। कांग्रेस को यह समझ आ रहा है कि जिस दिन बीजेपी लोगों के जहन से उतरेगी तो पैन इंडिया तो हम ही एक अल्टरनेटिव हैं। रीजनल पार्टीज के साथ ऑल द टाइम गठबंधन के मोड में रहेंगे तो ऑटोमेटिकली हमको जो पैन इंडिया जो हमको इमर्ज होना है । 1980 की बात मैं एक यंग वकील था हम तब तो मैं पॉलिटिक्स में भी नहीं था और आपको याद है मुशान साहब जबलपुर से एमपी बने दैट इज हाउ मेरा पॉलिटिक्स में थोड़ा इंट्रोडक्शन हुआ था उस वक्त उनके माध्यम से तो जब मैं अर्जुन सिंह जी एस चीफ मिनिस्टर जबलपुर आया करते थे या वोरा जीआते थे जो भी आए जी मुझे याद है हम लोग जब एयरपोर्ट जाते थे या उनको रिसीव करनेजबलपुर का हुज हु लाइन पर खड़ा रहता था उनसे शिकायत करने के लिए चाहे वो पत्रकार हो चाहे वो रिलीजियस लीडर्स हो उद्योगपति हो डॉक्टर हो लॉयर हो समाजसेवी हो सब उनसे मिलते थे।
सीएम मोहन यादव सिंपल व्यक्ति है
श्री तन्खा ने कहा कि डॉक्टर मोहन यादव की सिंपल व्यक्ति है उनको कई चीजों पर ध्यान देना पड़ेगा । समवेयर ही इज टू उज्जैन इंदौर सेंट्रिक एक मध्य प्रदेश में फीलिंग है कि जैसे कि वो उनको पूरा प्रेम उज्जैन से और इंदौर तरफ है तो जब तक उस उस प्रेम से वो दूर ना होंगे और दूसरे शहरों को वही प्रेम नहीं बांट पाएंगे तब तक पूरे मध्यप्रदेश में सुधार नहीं होगा।