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… तो कौन करेगा शवों का पोस्टमार्टम, मात्र दो कर्मी, पीएम करने प्राइवेट कर्मचारी भी नहीं मिल रहे

जबलपुर, यशभारत। आत्महत्या, हत्या फिर जहर खाने जैसे मामलों को जल्द निपटाने और सही स्थिति का पता लगाने के लिए शवोें की पोस्टमार्टम की व्यवस्था नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल के मर्चुरी विभाग में की गई है। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि सबसे अहम विभाग इस समय कर्मियों की कमी के कारण अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया है। मात्र दो कर्मियों के भरोसे पूरा मर्चुरी विभाग है जबकि रोजाना दर्जनों पीएम के लिए पहंुच रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि शवों के पीएम के प्राइवेट में भी कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं जबकि विभाग कई बार प्राइवेट कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए तैयारी कर चुका है। लेकिन जानकर कहते हैं कि इस काम को करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।
एनएससीबी मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक श्रीवास्तव कहते हैं कर्मियों की भारी कमी है और इसकी वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कर्मियों की कमी दूर हो सकती है कि अगर पीएम करने वाले कर्मचारियों की फॉर्मल ट्रेनिंग के लिए कोई डिग्री-डिप्लोमा जैसा कोर्स शुरू कर दिया जाए जिससे पढ़ाई करके इस फील्ड में जाने वाले इसमें रूचि दिखाएं। जबकि अन्य विधाओं में टेक्नीशियन होते हैं। जबलपुर में हम इन कर्मचारियों को विभागीय स्तर पर ट्रेनिंग देते हैं। इसी ट्रेनिंग को 3 माह अथवा 6 माह के सर्टिफिकेट कोर्स अथवा डिप्लोमा कोर्स का रूप दिया जा सकता है।

पीएम के लिए कोर्स होना चाहिए
ज्यादातर मामलों में पीएम करने वाले कर्मचारी अपने सीनियर कर्मचारी को देखकर यह कार्य सीखते हैं, वहीं मेडिकल कॉलेजों में फॉरेंसिक विभाग के चिकित्सक ट्रेनिंग देकर कर्मचारी को निपुण करते हैं। जबकि एक्सरे टेक्नीशियन, ओटी टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट जैसी कई विधाओं में आज पढ़ाई होती है। जॉब के अवसर भी मिलते हैं। जानकारों का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में पीएम करने वाले कर्मचारियों को ट्रेनिंग देकर ही तैयार किया जाता है, ऐसे में कुछ माह के सर्टिफिकेट अथवा डिप्लोमा कोर्स में बदला जा सकता है।

एक कर्मचारी से सीखते हैं दूसरे कर्मचारी
सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के अलावा जिले में 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पीएम की सुविधा है। चिकित्सक की मौजूदगी में क्लास-4 कर्मचारी यह कार्य कर रहे हैं। कार्य करते हुए ही दूसरे कर्मचारी भी यह कार्य सीखते हैं, यह प्रक्रिया चलन में है। कोई रेगुलर पोस्ट इसके लिए नहीं है। मेडिकल यूनिवर्सिटी इससे जुड़ा कोई कोर्स चाहे तो शुरू कर सकती है।

कर्मचारी बोले, कोर्स शुरू होगा तो अच्छा-
मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में दो कर्मचारी पीएम से जुड़ा कार्य कर रहे हैं। 59 वर्षीय जमुना प्रसाद और 56 वर्षीय शिवचरण। दोनों ही फॉरेंसिक विभाग में वर्ष 1984 से पदस्थ हैं। जमुना जहां इसी वर्ष सेवानिवृत्त हो जाएंगे, वहीं शिवचरण को सेवानिवृत्त होने में समय है। जमुना कहते हैं कि यह कार्य चिकित्सकों से सीखा है। इसे करते हुए अब 40 वर्ष हो गए हैं। हमारे जाने के बाद नए लोग यहां आएं, इसके लिए अगर कोई कोर्स हो सकता है तो अच्छा होगा।

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