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करोड़ों की आस्था का मामला; तिरुपति लड्डू विवाद की जांच को SC ने बनाई SIT

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रासद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह करोडों लोगों की आस्था का सवाल है और अगर आरोपों में जरा भी सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है। कोर्ट ने कहा है कि किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी गठित करके फ्रेश जांच करवाई जाए। इससे लोगों को भरोसा बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है जिसमें सीबीआई, पुलिस और FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि राज्य की एसआईटी अब मामले की जांच ननहीं करेगी। उन्होंने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। अदालत का इस्तेमाल सियासत के लिए नहीं होने दिया जाएगा। जस्टिस गवई ने कहा, हमने अखबार में पढ़ा है कि मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर जांच कराई जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीति करोड़ों लोगों की आस्था पर हावी हो रही है। ऐसे में सीबीआई से दो, राज्य सरकार से दो और एफएसएसएआई के एक अफसर की टीम मामले की स्वतंत्र जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि अगर इस बात में दम है कि लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में जानवरों की चर्बी मिलाई गई है तो यह गंभीर मुद्दा है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है और इसलिए इसपर सियासत उचित नहीं है।

इस मामले की सुनवाई गुरुवार को ही होनी थी। हालांकि तुषार मेहता ने इसपर शुक्रवार सुबह को जवाब देने की अनुमति मांगी थी। बेंच ने उनका निवेदन स्वीकार कर लिया। इससे पहले 30 सितंबर को सुनवाई करते हुए मेहता ने कहा था कि राज्य की नियुक्त एसआईटी की जांच जारी रहे या फिर इसे स्वतंत्र एजेंसी से करवाया जाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि इसके सबूत क्या हैं कि लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया। कोर्ट ने कहा था कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।

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