योजनाएं अपार अमृत सरोवर का बंटाढार : लाखों रुपए की लागत से कागज़ों में हो रहा निर्माण, भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा क्षेत्र का विकास
- मंडला l आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला में अमृत सरोवर योजना में भारी भ्रष्टाचार की कलाई अब खुलती जा रही है योजना के अनुरूप यहां कार्य तो किया गया लेकिन ना ही बोर्ड लगाया गया ना ही कोई विशेष कार्य हुआ इसके बाद कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की दाल में कुछ काला है बल्कि यहां तो पूरी की पूरी दाल ही काली है l
जानकारी अनुसार यहां भ्रष्टाचार की एक अच्छी खासी किताब लिखी जाए तो भी उसके पन्ने कम पड़ जाएंगे बावजूद इसके न जिला प्रशासन के जिम्मेदारो के कानों में जूं तक नही रेंग रही है, और न ही जनता के सेवक अपनी इच्छा शक्ति दिखा रहे हैं जिसके कारण लगातार क्षेत्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा हैl
आज जिले के नगर से लेकर गांव गया में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के वफादार सेवक कार्यकर्ता ठेकेदार बन बैठे है, और जनता के विकास के लिए आई राशि चाहे वह प्रदेश हो या फिर केन्द्र सरकार से हो सब पर ठेकेदारी की जा रही है, नाम मात्र के लिए निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायते है। सब मे ठेकेदारी प्रथा लागू है और कही कही तो खुद जनप्रतिनिधि स्वयं ठेकेदार बन बैठे है और उनके फर्मो के बिल सरकारी पोर्टल में आसानी से देखे जा सकते है l
प्रदेश में यूं तो लगभग 20 सालों से भाजपा की सरकार सत्ता में है, वही पूरे देश में तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में विकास के रथ का पहिया दौड़ रहा है, भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश सरकार में वर्तमान मंत्री और मिनिस्टर तक डबल इंजन सरकार की तारीफ करते हुए दिन रात थकते नहीं परन्तु इसी डबल इंजन की सरकार के कुछ भैया जो जिले में बहुत वर्षों से पदों में आसीन हैं इनके द्वारा भ्रष्टाचार को अमली जामा पहनाने का काम किया जा रहा हैं।
वही जानकारी के अनुसार ऐसा ही एक मामला मंडला जिले की बिछिया तहसील के अंतर्गत लफरा ग्राम पंचायत में देखने को मिल रहा हैl पूरी जानकारी देते हुए ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच राधे लाल धनगर और ग्रामीण
शिशिर लाल मसराम ने बताया कि यह पंचायत हमेशा ही अपने और जनता के विकास के प्रति हुए कार्यो को लेकर आये दिन सुर्ख़ियों में रही हैं और, ताजा मामला ग्राम पंचायत लफ़रा में बने अमृत सरोवर परियोजना के अंतर्गत बनाए गए लाखों रुपए के सरोवर का हैं, जहाँ पर अमृत योजना से बन रहे तालाब का न ही मौके में कोई सूचना पटल लगाया गया ,न ही निर्माण स्थल पर कोई जानकारी है l कितनी की लागत है ठेकेदार कौन है और निर्माण कार्य मे मजदूरी भुगतान कितनी दी जा रही है….कब से प्रारंभ है… ऐसी कोई भी जानकारी स्थल पर नही है। जबकि नियमानुसार निर्माण स्थल में कार्य प्रारंभ होने के पहले ही सूचना पटल लगाने के स्टीमेट राशि का उल्लेख होता है और उक्त कार्य के लिए राशि भी जारी की जाती हैं पर अधिकांशतह निर्माण एजेंसियों के द्वारा कोई भी सूचना पटल नहीं लगाते है और कार्य पूर्ण हो जाते है।
एक तरफ इन दिनों बरसात लगी हुई हैं, और भरी बरसात में भी कुछ बूंदों के लिए सरोवर तरस रहा हैं। ग्रामीण सहित पूर्व सरपंच ने मामले पर जांच की मांग की हैl