ADR की SBI के खिलाफ अवमानना याचिका:सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक देने को कहा था, बैंक ने समय मांगा

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगाई थी। साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देने के लिए 6 मार्च 2024 तक का समय दिया था। हालांकि SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी EC को देने के लिए 30 जून तक का समय सुप्रीम कोर्ट से मांगा है।
ADR ने याचिका में कहा कि SBI की 30 जून तक की मोहलत मांगना इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। SBI का IT सिस्टम इलेक्टोरल बॉन्ड को आसानी से मैनेज कर सकता है। हर बॉन्ड में एक यूनीक नंबर होता है। इसके जरिए रिपोर्ट तैयार कर इलेक्शन कमीशन को दी जा सकती है।
गुरुवार को ADR की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि SBI की तारीख बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है। उसी दिन अवमानना याचिका पर भी सुनवाई कर लीजिए। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हम आपकी मांग पर विचार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 13 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर बताना होगा कि किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है।

कांग्रेस बोली- 30 जून का मतलब, लोकसभा चुनाव के बाद जानकारी दी जाएगी
ADR के अलावा कांग्रेस ने भी SBI के मोहलत मांगने की याचिका पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने 4 मार्च को केंद्र सरकार को घेरते हुए पोस्ट किया- 30 जून का मतलब- लोकसभा चुनाव के बाद जानकारी दी जाएगी। आखिर SBI यह जानकारी चुनाव से पहले क्यों नहीं दे रहा? महालूट के सौदागर को बचाने में SBI क्यों लगा है?
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि खुलासे से स्पष्ट हो जाएगा कि जिन्होंने भी भाजपा की आर्थिक मदद की है, उसका उद्देश्य गलत है। साथ ही कहा कि SBI का 30 जून तक समय मांगना एक रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले इसका खुलासा हुआ तो भाजपा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
उधर, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भी गुरुवार को कहा कि सीबीआई का अतिरिक्त समय मांगना एक चाल है, जिससे लोकसभा चुनाव के पहले जानकारी सार्वजनिक न हो।