लापरवाही: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिला 2 माह से मानदेय
नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा यशभारत। शासन की विभिन्न योजनाओं में धरातलीय स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं में को पिछले दो माह से मानदेय नहीं मिलने के कारण उनकी जीवकोपार्जन को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। यह तीसरा माह प्रारंभ हो गया है। मकरसंक्रांति जैसे त्यौहार में मानदेय नसीव ना होने के कारण लड्डू बन पाना भी संभव नहीं हो पा रहा है।
कार्यकर्ताओं ने तत्काल प्रभाव से मानदेय भुगतान की मांग की है। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब हम लोगों से शासन की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने को लेकर धरातल स्तर पर सहयोग लिया जाता है तो फिर समय पर मानदेय क्यों नहीं दिया जाता है। ऊपर से आंगनवाड़ी केन्द्र में गोदभराई, मंगल दिवस मनाये जाने को लेकर राशि भी अलग से नहीं दी जाती है ऐसी स्थिति में अलग से एक बोझ पड़ता है। विभागीय स्तर पर मोबाइल फोन तो उपलब्ध कराये गये हैं और इन्हीं के माध्यम से जानकारी भी दी जाती है लेकिन इनमें वेलेंस की व्यवस्था भी हमी कार्यकर्ताओं को करनी पड़ती है। पोषण आहार भी हर माह नहीं पहुंच रहा है। दो तीन माह में एक बार ही आ रहा है। और भी दवाएं जो बच्चों के स्वास्थ्य और गर्भवती महिलाओं के लिए भेजी जाती है वह भी नहीं आ रही है।
जर्जर भवन में लग रहीं आंगनबाड़ी
तेंदूखेड़ा सेक्टर में कुल छ: आंगनबाड़ी केन्द्र आते हैं। इनमें तीन के स्वयं के भवन है तो तीन किराये के भवन में लग रहें हैं। स्वयं के भवनों की काफी गंभीर स्थिति बनी हुई है। ऊपर की छाप का प्लास्टर नीचे गिरने के कारण राडें स्पष्ट दिखाई देने लगीं हैं।इस प्लास्टर को नीचे गिरनें को लेकर अनहोनी का अंदेशा बना रहता है। छोटे-छोटे बच्चों के बीच कभी भारी प्लास्टर ना गिर जाये की अशंका बनीं रहती है।यह विषय अनेकों बार समाचार पत्रों के माध्यम से सर्वत्र भी किया गया लेकिन आज तक विभागीय स्तर पर किसी ने भी सुध नहीं ली है। पटवारी मुहल्ला वार्ड क्रमांक 05 में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र में दरवाजे जहां तहां से टूटने के साथ उनमें शराबियों द्वारा खाली बाटले डाल दी जाती है। जहां तहां से छाप उखडऩे के कारण भवन की स्थिति भी काफी गंभीर बनी हुई है।इस केंद्र की मरम्मत कार्य हेतु नगर परिषद द्वारा अनुमानित व्यय जानकारी भी दे दी गई है लेकिन अभी तक कोई उचित कार्यवाही नहीं हो सकी है।
बिजली न जलने के बाद बिल हुआ नौ हजार
बड़ी ही अजीबो-गरीब स्थिति यहां पर देखने को मिल रही है। शासन द्वारा प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र में विद्युत मीटर तो लगवा दिए हैं। कनेक्शन भी हो गये हैं। लेकिन सबसे बड़ी विसंगति पूर्ण स्थिति यह देखने में आ रही है कि ना तो बल्ब है और ना ही पंखे फिर भी बिल हर माह आ रहे हैं। एक आंगनवाड़ी का बिल नौ हजार रुपए से अधिक का हो गया है।
जबरन बनाया जाता है दबाव
सबसे बड़ी एक और समस्या इन कार्यकर्ताओं के साथ चल रही है कि आंगनवाड़ी केन्द्र के अंतर्गत आने वाले कुपोषित बच्चों को एन आर सी भवनों में भर्ती करवाने या ढूंढ़ कर लाने का दबाव बनाया जाता है लेकिन कुपोषित बच्चों के पालक इन बच्चों को एन आर सी भवन में लेकर ही नहीं जाते हैं। और ना भर्ती करना चाहते हैं।
भवनों के आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने की जरूरत
तेंदूखेड़ा नगर परिषद क्षेत्र में बढ़ते जनसंख्या घनत्व को दृष्टिगत रखते हुए अधिकांश वार्डों में केंद्र खोले जाने की महती आवश्यकता है। छोटे छोटे बच्चों को मुख्य सड़क मार्गों से निकल कर काफी दूर इन केंद्रों पर जाना पड़ता है। वहीं वार्ड क्रमांक 11 में केंद्र खोले जाने को लेकर मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है। और पूर्व में भी यहां से नये केंद्र खोले जाने के प्रस्ताव बनाकर भेजे भी गये हैं। लेकिन वे नक्कार खाने में तूती की आवाज बनकर रह गये हैं।
इनका कहना है….
इस संबंध में परियोजना अधिकारी विकासखंड चांवरपाठा राजेश्वरी मेहरा ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं का मानदेय ना मिलने के पीछे बजट ना होना है। जहां आंगनवाड़ी केन्द्र ज्यादा जर्जर हालत में हैं। उनके जीर्णोद्धार के लिए राशि तो नहीं है फिर भी किराए के भवन में लगा सकते हैं। पूर्व में जो भी नये आंगनवाड़ी केन्द्रों के प्रस्ताव भेजे गए थे उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी या स्वीकृति नहीं मिली है। भारत विकास संकल्प यात्राओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों से भी केंद्रों के लिए प्रस्ताव आये हुए थे जिन्हें आगे भेज दिया है।