कटनीजबलपुरभोपालमध्य प्रदेश

20 माह तक कटनी की पिक्चर के असल हीरो तो अविप्रसाद ही रहे

विधायकों के जनता दरबार से ज्यादा भरोसा लोगों को कलेक्टर की जनसुनवाई पर था, बुके की जगह बुक लेकर बन गए स्कूली बच्चों के आइडियल

कटनी। 20 माह कलेक्टरी की धुआंधार पारी खेलने के बाद अवि प्रसाद का तबादला सरकार के स्तर पर एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा माना जा सकता है, लेकिन अपने कर्तव्य पर फिट बैठते हुए शत-प्रतिशत नतीजे देने वाले कलेक्टर को सचिवालय ले जाकर उपसचिव बना देने की वजह लोगों की समझ से परे हैं। इस अहम जिम्मेदारी से जुड़ी चुनौतियों को परखने वालों की कल से लेकर आज तक पहली प्रतिक्रिया यही थी कि उन्हें कटनी से हटाने की अगर इतनी जरूरत पड़ भी गई, और उसके पीछे किसी का ईगो हर्ट हो रहा था, तो उन्हें सचिवालय की जगह किसी दूसरे जिले की कलेक्टरी  देना चाहिए थी। हालांकि यह निर्णय सीधे तौर पर सरकार का है कि किस अफसर की सेवाएं उसकी काबिलियत के मुताबिक कहां ली जाना है। यह सीएम, मंत्रियों और मुख्य सचिव के विवेक पर है, किन्तु एक अच्छे अफसर के सर्विस पीरियड में ट्रेक रिकार्ड जैसी भी कोई बात होती है, जिसे कतई नजरअंदाज नही किया जाना चाहिए । सूत्र बताते है कि दरअसल कानून की किताब को माथे से लगाकर अवि प्रसाद जैसी कार्यवाहियां करने लगे थे, उससे इस जिले के सत्ताधीश ही नही बल्कि अवैध कामों के लिए पूरा सिंडिकेट तैयार कर चुके लोग भी असहज होकर बेचैनी की हद तक पहुंच चुके थे। उनके कार्यकाल में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही इस जिले सत्ताधारी दल की सेहत के अनुरूप रहे हो, लेकिन नेताओं को इस बात की पीड़ा हमेशा रही कि सारा माइलेज तो कलेक्टर साहब के खाते में दर्ज होता जा रहा, फिर जनता द्वारा उन्हें चुने जाने का मतलब ही क्या निकला। नेताओं को यह बात भी नागवार गुजरने लगी थी कि जनता अपनी समस्याएं लेकर निराकरण के पूरे भरोसे के साथ उन तक पहुंचने लगी थी। उनकी जनसुवाई, विधायकों के जनता दरबार से ज्यादा हिट होने लगी थी। सामाजिक सरोकार ने उन्हें जन-जन से जोड़ दिया था। शायद अविप्रसाद को जरूरत से ज्यादा लाइमलाइट रहने की वजह से भी सीधे राजधानी के रास्ते जाना पड़ा। उन्हें कटनी से हटाने की इतनी क्या हड़बड़ाहट थी कि सरकार को आईएएस की ट्रांसफर लिस्ट जारी होने से पहले उनके लिये अलग से आदेश निकालना पड़ा। तीन नामों में एक तो उनके स्थान पर पोस्टेड हुए। खैर….किसी एक आईएएस या आईपीएस के जीवन में ऐसे पड़ावों का आना कोई खास बात नही। लोकसेवा आयोग के छन्ने से छनकर निकले अफसर इन हालातों के अभ्यस्त होते हैं, बात तो कुल इतनी है कि अवि प्रसाद ने डेढ़ साल 2 माह की कलेक्टरी में कटनी के हर नागरिक का दिल जीत लिया। जब तक यहां पदस्थ रहे, हीरो तो वे ही रहे।

अवि प्रसाद ऐसे अफसर हैं, जिन्हें कटनी जिले के लोग लंबे समय तक भुला नही पाएंगे। कलेक्टर रहते कटनी में जिस संवेदनशीलता का परिचय उन्होंने दिया, ऐसे आजकल के अफसरों में कम ही देखने मिलती है। प्रशासनिक दायित्व के साथ सामाजिक सरोकार के प्रति उनका नजरिया अन्य अफसरों के लिए प्रेरणादायक बनकर सामने आया है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों की बड़ी जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभाकर उन्होंने अपने सहयोगियों का दिल भी जीता और राजनैतिक दलों के साथ भी सामंजस्य बनाये रखा। अपने समूचे कार्यकाल में वे इतने सक्रिय रहे कि जनप्रतिनिधियों को भी पीछे छोड़ दिया। कई मौके ऐसे भी आये जहां फ्रंट फुट पर जनप्रतिनिधियों को होना था, लेकिन उन मौकों में भी कलेक्टर अवि प्रसाद ही डटे रहे। सहज, सुलभ रहते हुए हर किसी से सहज संवाद स्थापित करने वाले कलेक्टर अविप्रसाद ने निःसन्देह कटनी में विकास और तरक़्क़ी के मार्ग को प्रशस्त किया है।

उनका 20 महीने का कार्यकाल प्रशासनिक दक्षता,कार्य कुशलता, महिला सशक्तिकरण, किसान हितैषी , शैक्षणिक उन्नयन , पर्यटन के माध्यम से युवाओं को रोजगार से जोड़ने, कुपोषण एवम टीवी रोग मुक्त कटनी ,स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि एवम जनसंवाद के लिए जाना जायेगा।

9 नवम्बर 2022 को आये थे कटनी

अविप्रसाद ने 9 नवंबर 2022 को कटनी कलेक्टर के रूप में पद भार ग्रहण किया था। यह समय रबी सीजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है लेकिन इसी महत्वपूर्ण समय में कटनी जिले के तमाम तहसीलों के ट्रांसफार्मर बिगड़े हुए थे, जिससे खेती किसानी की व्यवस्था बेपटरी हो रही थी। अविप्रसाद ने कुछ दिनों बाद 19 ट्रांसफार्मर बदलवाकर किसानों को राहत प्रदान की और एमपीईबी के वरिष्ट अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर पूरे जिले में 474 ट्रांसफार्मर बदलवाकर किसानों को राहत प्रदान करवाई। इतना कर वे कहां शांत बैठने वाले थे, उन्हें तो 24 घंटे और सातों दिन कटनी जिले के लिए कार्य करने का जुनून सवार था। अवि प्रसाद जब एक आंगनबाड़ी के दौरे पर गए वहां उन्होंने देखा कि एक बच्चा कुपोषित है, फिर क्या था उन्होंने कुपोषण मुक्त कटनी बनाने का अभियान छेड़ दिया। इसके लिए उन्होंने समाजसेवियो को कुपोषित बच्चों को गोद लेने के प्रेरित किया। कलेक्टर के आह्वान पर कटनी जिले के नागरिकों ने अपने कुपोषित बच्चों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना प्रारंभ किया और कलेक्टर के प्रयास से कुपोषण में कमी आई। कलेक्टर के इस अभियान को टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद कलेक्टर अविप्रसाद ने प्रधानमंत्री मोदी के टीवी रोगमुक्त भारत के खिलाफ जंग पर कार्य करना शुरू किया। जिले के अलावा तहसीलों के लोगों को भी इस अभियान में भागीदार बनाया। उनके मार्गदर्शन में 500 से ज्यादा निक्षय मित्र बने। कलेक्टर अवि प्रसाद के इस कार्य की प्रशंसा प्रधानमंत्री एवम राज्यपाल ने की। राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित भी किया। रेड क्रॉस का विस्तार करते हुए विजयराघवगढ़ में तहसील चैप्टर की शाखा उन्होंने प्रारंभ करवाई।
शैक्षणिक गतिविधियों के उन्नयन में उनकी की भूमिका बेहद सराहनीय है। कटनी जिले का 2023 में बोर्ड परीक्षाओ में परीक्षा परिणाम बेहद निराशाजनक था। दसवीं में कटनी 39 नंबर पर एवं 12वीं में 50 में नंबर पर था। अवि प्रसाद को यह बात खटक गई। उन्होंने ठान लिया कि हम कटनी को मध्यप्रदेश में टॉप 10 में लाकर रहेंगे। अपने लक्ष्य को मूर्त रुप में लाने के लिए कटनी जिले के समस्त जनप्रतिनिधियों के सहयोग से बुकलेट प्रकाशित करवाते हुए मिशन 45 लांच किया। इसके बाद रिजल्ट में आमूल चूल परिवर्तन हुआ एवं 2024 में कटनी जिला दसवीं के परीक्षा परिणाम में 39 नंबर से 8 नंबर पर एवं 12वीं में 50 में नंबर से 9 में नंबर पर आया इतनी लंबी छलांग किसी चमत्कार से कम नही थी।
लाइब्रेरी किसी भी छात्रावास की शान होती है लेकिन जब अवि प्रसाद जी गुरुवार को निर्धारित दौरे के दिवस पर छात्रावासों का निरीक्षण करने जाते थे तो किसी भी छात्रावास में लाइब्रेरी नहीं थी अवि प्रसाद ने जन सहयोग से प्रत्येक छात्रावास में लाइब्रेरी की स्थापना करवाई जिससे कि वह रहने वाले छात्र-छात्राओं को अध्ययन में कोई दिक्कत ना हो।कलेक्टर ने एक निवेदन किया कि यदि कोई उनसे मिलने आए तो बुके लेकर न आए। यदि लाना है तो बुक लाए। इसके बाद दूर-दूर से अन्य जिले के लोग भी जब कलेक्टर अविप्रसाद से मिलने आते थे तो किताबें भेंट करते थे। और वह किताबें अविप्रसाद लाइब्रेरी को भेंट कर देते थे। जिले के छात्र-छात्राओं को निशुल्क कोचिंग उपलब्ध करवाने के लिए अविप्रसाद के निर्देशन में 4 सेंटर में भारत निर्माण निशुल्क कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। जिसमें छात्र-छात्राएं निशुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
मध्यान भोजन की गुणवत्ता सुधारने के लिए कलेक्टर अवि प्रसाद प्रतिदिन किसी न किसी स्कूल के मध्यानह भोजन से अपना लंच करते थे। जिले में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर प्रदेश कमी लाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ लगातार समीक्षा बैठक करके उसमे सुधार के लगातार प्रयास किए गए, हाई रिस्क महिलाओं को चिन्हित करके उनको लगातार निगरानी में रखने के निर्देश स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए जिससे मातृ मृत्य दर में बहुत कमी आई।महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ा और जिले की 29 सहकारी संस्थाओं के संचालन की जिम्मेदारी महिलाओं को दी।
रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर अवि प्रसाद ने नागरिकों से जन संवाद स्थापित किया जिसके बाद गांव-गांव एवं कस्बों में भी रक्तदान सिविल आयोजित होने लगे। सरकारी अस्पतालो की व्यवस्था सुधारने लगातार सिविल अस्पताल के दौरे किए गए। कटनी जिले में पर्यटन से रोजगार के लिए लगातार प्रयास किए गए बरही का कोनिया धाम कलेक्टर के प्रयास से जल्द ही पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। रूपनाथ धाम को विकसित करने के लिए लगातार प्रयास किए गए और उनके प्रयास सफलहोते दिख रहे हैं। अवि प्रसाद एक कुशल प्रशासक के साथ साथ संवेदनशील भी है। जब अतिवर्षा से फसल खराब हुई तो सुबह 8 बजे किसानों से मिलने खेत पहुंच गए। किसान उनसे मिलकर रोने लगे। हाई कोर्ट की तर्ज पर कलेक्टर कोर्ट में तुरंत जजमेंट एवम पक्षकार के तरफ डिसप्ले सिर्फ कटनी कलेक्टर कोर्ट एवम अवि प्रसाद के कार्यकाल में हुआ ।

Screenshot 20240724 145821 WhatsApp 1 Screenshot 20240724 145829 WhatsApp 1 Screenshot 20240723 184930 WhatsApp 1

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button