हाईकोर्ट ने 15 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का दिया निर्देश, सही जवाब के बाद भी पीएससी ने किया था फेल
जबलपुर, यशभारत। एमपीपीएससी की एक चूक से प्रारंभिक परीक्षा में सही उत्तर देने के बावजूद 15 उम्मीदवारों को दो अंक से फेल कर दिया गया। अब मप्र हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए। अब मप्र हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए याचिकाकतार्ओं (फेल उम्मीदवारों) को पीएससी मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए हैं जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने राज्य शासन व पीएससी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी।
क्या है चुनौती
इस मामले में याचिकाकर्ता शुभांगी, नेहा, पृथ्वी व सुमित, बुशरा रहमान,सचिन गोस्वामी, दीपक धनगर, आदित्यराज यादव, गीतश पटले, लोलेंद्र नारगुवा, सीमा राय सहित ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पीएससी द्वारा 28 दिसंबर, 2020 को जारी विज्ञापन के आधार पर 25 जुलाई 2021 को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसका परिणाम 15 जनवरी 2022 को घोषित किया गया. परीक्षा परिणामों में याचिकाकर्ता फेल घोषित कर दिए गए। महज दो अंक कम होने के कारण वे मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गए। चंूकि स्व-मूल्यांकन के आधार पर उनको अपने पास होने की पूरी उम्मीद थी। अत: दो अंक कम दिए जाने को याचिका के जरिये चुनौती दी गई है.
क्या था प्रश्न
सुनवाई के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि पीएससी परीक्षा में प्रश्न था- आदि ब्रह्मसमाज की स्थापना किसने की थी? इसका सही उत्तर विकल्प क्रमांक-दो केशवचंद सेन था। लेकिन पीएससी ने उत्तर क्रमांक- एक रवीन्द्र्रनाथ टैगोर को सही मानकर अंक नहीं दिए. भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पाठ्य सामग्री के अलावा अन्य लेखकों की पुस्तकों में भी केशवचंद सेन को ही संस्थापक माना गया है।