हाईकोर्ट ने कहा 3 माह के अंदर सेवानिवृत्त श्रमिक को पेंशन का लाभ दिया जाए

जबलपुर, यशभारत।
रीवा निवासी याचिकाकर्ता वेदांती प्रसाद त्रिपाठी ने इस आशय की रिट याचिका प्रस्तुत की कि सन् 1982 में वह जल संसाधन विभाग, बाणसागर वितरिका संभाग, रीवा, म. प्र. में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में श्रमिक के पद पर नियुक्त किया गया। श्रम न्यायालय ने आदेश दिया कि दिनांक .6.1.1999 से याचिकाकर्ता की श्रमिक के पद पर सेवाओं को नियमित स्थापना में स्थाई एवं नियमित किया जाए एवं अपील में औद्योगिक न्यायालय ने श्रम न्यायालय के इस आदेश को यथावत रखा। दि. 26.7.2004 को आदेश जारी कर हेल्पर के पद पर नियमित वेतनमान में बाणसागर वितरिका, संभाग रीवा में नियमित पदस्थापना में याचिकाकर्ता को पदस्थ किया गया एवं दि. 30.6.2013 से याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त किया गया एवं याचिकाकर्ता को सिवाय पेंशन लाभ के अन्य सभी सेवानिवृत्त लाभ प्रदान किए गए। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर पेंशन लाभ प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की कि याचिकाकर्ता की कुल सेवाअवधि लगभग 30 साल है जबकि 20 साल की सेवा पूरी कर लेने पर शासकीय कर्मचारी पेंशन लाभ प्राप्त करने का अधिकारी हो जाता है एवं मध्यप्रदेश (कार्यभारित तथा आकस्मिता से वेतन पाने वाले कर्मचारी) पेंशन नियम 1979 के अनुसार भी 10 साल की स्थाई सेवा पूर्ण कर लेने पर कर्मचारी पेंशन लाभ प्राप्त करने का अधिकारी हो जाता है एवं इस नियम के अनुसार भी याचिकाकर्ता की स्थाई सेवा 14 साल से ज्यादा है क्योंकि श्रम न्यायालय ने दि. 6.1.1999 से याचिकाकर्ता की सेवा को नियमित एवं स्थाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट की एकलपीठ माननीय न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने शासन को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की संपूर्ण सेवा की गणना याचिकाकर्ता को पेंशन लाभ प्रदान करने के लिए होगी एवं 3 माह के अंदर याचिकाकर्ता को पेंशन लाभ देने की कार्यवाही की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से शीतला प्रसाद त्रिपाठी एडवोकेट, सुशील त्रिपाठी एडवोकेट ने पैरवी की।