सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल का मामला: सर्दी-खांसी के मरीज भी अस्पताल में थे भर्ती!
पलग की संख्या बढ़ाकर आयुष्मान योजना में लगा रहे थे पलीता
जबलपुर,यश भारत। होटल वेगा में चल रही सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल जिसमें शुक्रवार की शाम पुलिस व स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापामार कार्यवाही की गई थी वहां पूरा खेल आयुष्मान योजना में गोलमाल का चल रहा था। यश भारत को मिली जानकारी के मुताबिक आयुष्मान योजना के मापदंडों को पूरा करने और मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए यह पूरा खेल खेला जा रहा है जिसमें अस्पताल ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने यहां भतीज़् दिखाकर और मरीजों को ज्यादा दिन तक रख सके इसके लिए यह पूरा खेल रचा गया। जानकर हैरानी होगी अस्पताल में ऐसे मरीजों को भर्ती करके रखा गया था जो साधारण खांसी- जुकाम के मरीज थे। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच कर रही है।
ऐसे समझे मामला
आयुष्मान योजना के अंतगज़्त जिन अस्पतालों का चयन किया जाता है उसके लिए पूरी ऑनलाइन प्रक्रिया होती है जिसमें अस्पतालों की सुविधा से लेकर पलंग तक की संख्या निधाज़्रित होती है। जिसके आधार पर मरीजों का हॉस्पिटलाइजेशन होता है। और फिर सरकार द्वारा निधाज़्रित दरों से उनका उपचार किया जाता है । ऐसे में सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल द्वारा अपने यहां ज्यादा से ज्यादा मरीजों को भतीज़् करने के उद्देश्य से अस्पताल से लगे हुए होटल का प्रयोग किया जा रहा था। जिसके लिए बकायदा उन्होंने होटल को आयुष्मान योजना के पोटज़्ल पर अस्पताल के रूप में दिखाकर होटल और अस्पताल मिलाने के बाद 100 पलकों की क्षमता दिखा कर रखी हुई थी। जिसके के चलते यहां मरीजों को भतीज़् करके रखा गया था।
कॉल सेंटर से होता है वेरिफिकेशन
होटल में भर्तीं मिले लगभग सभी मरीज स्वस्थ दिख रहे थे और किसी को भी कोई गंभीर बीमारी नजर नहीं आई। लेकिन इन सामान्य दिख रहे मरीजों का रजिस्ट्रेशन मरीज बनाकर आयुष्मान पोर्टंल पर किया गया था ताकि सरकारी मदद से पैसा निकाला जा सके। मजबूरी यह थी की आयुष्मान योजना के पोटज़्ल से टेलीकॉलिंग के द्वारा भी मरीजों से सीधे बात की जाती है ऐसे में कोई मरीज घर पर होने की स्थिति में कलाई खुल सकती थी । िजसके चलते उन्हें होटल के कमरों में रखा जाता था।
ऑडिट का होना चाहिए ऑडिट
इस पूरे मामले में एक प्रमुख बात निकल कर सामने आई है वह यह है कि वेगा होटल में मरीजों के नाम पर आराम फरमा रहे ज्यादातर लोग स्वस्थ अवस्था में मिले हैं। ऐसे में इस बात की जांच होनी चाहिए कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा इन्हें कौन सी बीमारी दिखाकर भतीज़् किया गया था। बीमारी के नाम पर कौन सा उपचार किया जा रहा था क्योंकि आयुष्मान योजना के अंतगज़्त जिन मरीजों का उपचार होता है उनकी सभी रिपोटोज़्ं का आयुष्मान योजना के अधिकारियों द्वारा ऑडिट किया जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पूवज़् में जिन मरीजों का उपचार इस अस्पताल में हुआ है उनके ऑडिट के दौरान क्या अधिकारियों को कोई खामी नजर नहीं आई।
नहीं मिला कमीशन तो खोल दी पोल
आयुष्मान योजना में इस तरह का खेल कोरोना काल के समय से चल रहा है जिसमें सबसे प्रमुख भूमिका दलालों की थी जो कमीशन के लालच में अस्पताल में इस तरह के मरीजों को भतीज़् कर आते थे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन और एक दलाल के भी कुछ पैसों के लेनदेन में गड़बड़ी आने के बाद दलाल ने पूरे खेल की पोल खोल कर सामने रख दी है। इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि कमीशन का यह खेल सिफज़् एक अस्पताल में नहीं चल रहा है ऐसे कई अस्पताल हैं जिनकी जांच हो तो आयुष्मान योजना में लंबे भ्रष्टाचार सामने आएंगे।
इनका कहना है
प्रारंभिक जांच पड़ताल में यही बात सामने आई है कि सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल में ऐसे मरीजों को भी भर्ती करके रखा था जो साधारण बीमारी से ग्रस्त थे। इसकी जांच जारी है।
डॉक्टर, संजय मिश्रा संयुक्त संचालक और प्रभारी सीएमएचओ