सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरनेम को लेकर दिया गया आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट एक फैसला रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले में महिला को निर्देश दिया गया था कि वह अपने नए पति का नाम रिकॉर्ड्स में बच्चे के सौतेले पिता के तौर पर दिखाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी मां बच्चे के बायोलॉजिकल पिता की मौत के बाद उसकी इकलौती लीगल और नैचुरल गार्जियन होती है। उसे अपने बच्चे का सरनेम तय करने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कहा कि अगर वह दूसरी शादी करती है तो वह बच्चे को दूसरे पति का सरनेम भी दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मां अपने बच्चे को दूसरे पति को गोद लेने का अधिकार भी दे सकती है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने पहले के फैसलों का भी जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मां को पिता के समान ही बच्चे का नैचुरल गार्जियन बताया था।