सिर्फ रेफर होते है मरीज, अस्पतालों के खस्ता हाल, सर्दी-बुखार का इलाज करने तक ही सीमित जिले के स्वास्थ्य केंद्र

कटनी, यशभारत। जिले के एक मात्र जिला चिकित्सालय के हाल इन दिनों खस्ता नज़र आ रहे है कदाचित इससे भी खस्ताहाल ग्रामीण क्षेत्र में संचालित स्वास्थ्य केंद्रों के हैं। इन अस्पतालों मरीजों का न तो बेहतर इलाज हो पा रहा हैं न मरीज को बेहतर सुविधाएं नसीब हो रही हैं। जिले के स्वास्थ्य केंद्र साधारण सी सर्दी बुखार के इलाज तक स्वास्थ्य केंद्र सीमित है। हाल ये हैं की मरीजों को जिला अस्पताल फिर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। रोगी कल्याण समिति की बैठक में सुविधाएं बढ़ाने के लिए कई बार निर्णय लिया गया है, लेकिन समिति के निर्णय की पूर्ति नहीं हो पाती सिर्फ कागज़ी घोड़े दौड़ाए जाते रहे है। यही वजह हैं प्रस्ताव पर अमल नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विजयराघवगढ़, बरही, बड़वारा,बहोरीबंद, रीठी,उमरिया पान, के सामुदायिक और स्वास्थ्य केंद्रों में स्तुमेंट्स एक्स-रे मशीन कबाड़ हो चुकी । इसमें ठीक से एक्सरे भी नहीं हो पाते हैं। स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे की सुविधा मरीजों को मिलती है। ऐसे में जिले भर के ग्रामीण मरीज निजी एक्स-रे कराने को मजबूर होते हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ नर्स की भी कमी
क्षेत्र के लोगों ने बताया कि आजकल डिजिटल एक्सरे मशीन ज्यादा सुविधाजनक साबित हो रही है। इसलिए केंद्र पर एक्स-रे की आधुनिक मशीन उपलब्ध होना चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ नर्स की भी कमी बनी हुई है। इससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है। बताया गया है कि स्वास्थ्य केंद्रों के ओपीडी में प्रतिदिन एक सैकड़ा से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। जिन्हें कई बार तो इलाज कराए बिना ही वापस जाना पड़ता है या फिर निजी चिकित्सकों के पास उपचार कराना पड़ता हैं।
जिला मुख्यालय कर देते हैं रेफर
स्वास्थ्य केंद्रों में महिला चिकित्सक व आवश्यक उपकरणों की कमी के चलते मरीज उपचार के अभाव में जिला मुख्यालय की ओर रुख कर रहे हैं या फिर प्राइवेट चिकित्सकों के पास पहुंचते हैं। सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उप स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लिए एंबुलेंस सुविधा भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती है। कई स्वास्थ्य केंद्र में ड्रेसर नहीं होने से मरीजों को आफत होती है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में भी चिकित्सक नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कुपोषित बच्चों के लिए।पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है लेकिन यहां शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। चिकित्सकों के कई पद खाली हैं। इन केंद्रों में भर्ती बच्चों की देखभाल का जिम्मा यहां पदस्थ चिकित्सकों पर है। मगर ये चिकित्सक कुपोषित बच्चों की देखभाल में लापरवाही बरत रहे हैं। जिम्मेदारों को यह मालूम नहीं है कि एनआरसी में कितने बच्चे भर्ती हैं।
केंद्रों की हकीकत
* 200 से अधिक ओपीडी में मरीज पहुंच रहे हैं।
* नाममात्र को जांच की सुविधा है।
* एक्स-रे की जांच सुविधा मरीजों को नहीं मिल रही है।
● सोनोग्राफी नही हो रही
* सब सेंटरों में एएनएम की पदस्थापना नहीं है।
* स्वास्थ्य केंद्रों का एरिया कम होने की वजह से भी दिक्कतें हो रही हैं।
* स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों एवं विषय विशेषज्ञों की कमी
* चिकित्सक व स्टाफ नर्सों की कमीं है
* साफ सफाई एवं स्वच्छता का भी अभाव
ग्रामीण अंचलों की हालत खराब
सबसे ज्यादा अव्यवस्था का आलम ग्रामीण अंचलो में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उप स्वास्थ्य केन्द्रों में देखने मिल रही है। जहां न तो समुचित संसाधन ही उपलब्ध हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ। जिसके चलते इनका संचालन महज औपचारिकता ही साबित हो रहा है। स्वास्थ्य केन्द्रो में स्वास्थ्य लाभ न मिलने की स्थिति में मुख्य केन्द्रो में दबाव ज्यादा बढ़ता है।
