जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

साहब… मोटे अनाज की प्राकृतिक खेती करते हैं तो वन विभाग वाले बहुत मारते हैं!

मिलेट्स की देश की ब्रांड एंबेसडर ने खजुराहो सांसद के सामने बयां किया दर्द

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प्रदेश सरकार सिर्फ तारीफ करती है, तारीफ से घर नहीं चलता : लहरी बाई
फोटो लहरी बाई ब्रांड एंबेसडर की लगाना है।

जबलपुर। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश की मिलेट्स यानि अनाज की ब्रांड एंबेसडर के खिताब से डिंडोरी के सिलपड़ी गांव निवासी लहरी बाई को नवाजा है तो वहीं दूसरी तरफ यहीं ब्रांड एंबेसडर मप्र सरकार के वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की बर्बरता से बहुत परेशान है। आंखों में आंसू और दिल में दर्द लेकर खजुराहो सांसद वीडी शर्मा से जब लहरी बाई ने डिंडोरी के ग्राम सिलपड़ी में वन विभाग के कर्मचारियों की करतूत बताई जिसे सुनकर सांसद भी हैरान रह गए। उन्होनें तत्काल लहरीबाई को कहा कि तुम चिंता मत करो, मप्र सरकार के जिम्मेदारों तक तुम्हारी मांग पहुंचाकर जल्द ही न्याय दिलाया जाएगा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर अनाज की ब्रांड एंबेसडर लहरी बाई की जमकर सराहना की थी। जिस पर लहरी बाई ने यशभारत को बताया कि सरकार तो सिर्फ तारीफ ही करती है, वह बहुत परेशान है। एक तो उसके पास मोटे अनाजों की प्राकृतिक खेती करने के लिए जमीन नहीं है। जैसे-तैसे वह अपने घर के पास खेती करने जुगत करती है तो वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वहां पहुंचकर बार-बार उसकी खेती नष्ट कर देते हैं। लहरीबाई के अनुसार आलम तो इस हद तक जा पहुंचता है कि वन विभाग के जिम्मेदार लहरीबाई के साथ जमकर मारपीट करते हैं। डिंडोरी के ग्राम सिलपड़ी निवासी लहरी बाई ने अपने घर के पास बनी मिट्टी की कोठी में जिन बीजों को संग्रहित करके रखा है उनमें बिरनी कुटकी, लाल डोंगर, बहेरी कोदा, डोंगर कुटकी, बड़े कोदो, लहरी कोदो, सल्हार सहित अन्य बीज शामिल हैं।
25 सालों से लड़ रहे अपने हक की लड़ाई
लहरी बाई की शिवराज सरकार से मांग है कि मिलेट्स के बीजों की प्राकृतिक खेती के लिए उसे और बैगा आदिवासियों को पट्टा सहित जमीन दी जाए। जिससे वह कोदो, कुदकी पैदा कर सके। जानकारी के अनुसार लहरी बाई सहित 100 से अधिक बैगा आदिवासी ऐसे हैं जो कि वन अधिकार पट्टा पाने के लिए विगत 25 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन अभी तक उनके हिस्से कोई भी न्याय हाथ नहीं लग सका है।
इन इलाकों में घूम-घूमकर किया संग्रह
लहरी बाई ने अपने माता-पिता और पड़ोस की कुछ बैगा आदिवासी सहेलियों के साथ मंडला, बालाघाट, डिंडोरी, अनूपपुर सहित आसपास के अन्य ग्रामीण अंचलों में घूम-घूमकर 60 किस्म के मोटे अनाजों के बीजों को एकत्रित किया और फिर इन सभी बीजों को अपने घर पर बनी मिट्टी की कोठी में सहेजकर रखा है। मोटे अनाजों में भारी मात्रा में प्रोटीन भी रहता है। जानकारी के अनुसार मिलेट्स यानि मोटे अनाज के उत्पादन में छत्तीसगढ़ नंबर पर है जबकि मध्यप्रदेश दूसरे नंबर है। विदित हो कि दो दिन पहले जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में मिलेट्स, अनाज पर दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन का आयोजन हुआ था जहां पर लगी प्रदर्शनी में प्राकृतिक खेती से पैदा किए गए मोटे अनाजों के बीजों को प्रदर्शित किया गया था।

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