कटनीमध्य प्रदेश

संगठन मंत्री सिस्टम के खात्मे से कमजोर पड़ा समन्वय का काम

चुनाव नतीजों के बाद भाजपा पर फिर लगाम कसेगा आरएसएस

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कटनी ( आशीष सोनी )। लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी संभाग और जिला स्तर पर संगठन मंत्रियों की नियुक्ति कर सकती है। पार्टी में पहले यह सिस्टम लागू था लेकिन दो साल पहले केंद्र से मिले निर्देशों के तहत एक झटके में संगठन मंत्रियों को हटाकर इन्हें प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बना दिया गया था। शिवराज सरकार के समय इनमें से कुछ को निगम-मंडल में अध्यक्ष बनाकर पावरफुल सत्ता में हिस्सेदारी दे दी गई थी।

images 36 3लोकसभा चुनाव के पहले प्रदेश सरकार ने शिवराज सिंह के समय की तमाम नियुक्तियां निरस्त की तो इनके पद भी जाते रहे। कटनी में पहले जितेंद्र लटोरिया तथा बाद में आशुतोष तिवारी जिला संगठन मंत्री के रूप में पार्टी के बीच समन्वय का काम देख रहे थे। संभागीय संगठन मंत्री के बतौर शैलेन्द्र बरुआ को यह जिम्मेदारी मिली हुई थी।

भाजपा के कटनी जिला संगठन के संदर्भ में बात की जाए तो पार्टी को जिला और संभागीय संगठन मंत्री सिस्टम खत्म करने का नुकसान उठाना पड़ा है। संगठन मंत्रियों की जिम्मेदारी समाप्त हो जाने के बाद से स्थानीय स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय का काम कमजोर पड़ गया। कटनी जिला हालांकि सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है लिहाजा सांगठनिक तौर पर भी कटनी में सबकुछ उनके इशारे पर होता आया है। जिलाध्यक्ष के रूप में वीडी की पसंद की नियुक्ति होने के बाद से तो सारा कुछ एकतरफा हो चला, ऐसे में वे नेता हाशिये पर धकेल दिए गए जो मौजूदा टीम से तालमेल नही बिठा पाए। उपेक्षित और अलग थलग पड़े नेताओं तथा कार्यकर्ताओं की तादात बड़ी संख्या में है लेकिन फिलहाल इनके पास कोई विकल्प नही। जानकारों का कहना है कि ऐसी परिस्थिति में जिला और संभागीय संगठन मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण बन जाती है। चूंकि वे जिला लेबल पर सारी परिस्थितियों को बेहतर समझते हैं इसलिये वे समन्वय का रास्ता निकालते हुए सबको कहीं न कहीं एडजस्ट करके चलते हैं लेकिन यह काम कटनी के संगठन में फिलहाल बंद है। संघ की पसन्द से नियुक्ति होने की वजह से जिलाध्यक्ष पर भी एक तरह से संगठन मंत्री की लगाम कसी रहती थी, जो अब दिखलाई नही पड़ती। इसलिए यहां संगठन मंत्री सिस्टम की ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। कटनी के नेताओं ने आशुतोष तिवारी और शैलेन्द्र बरुआ के समय के संगठन को देखा है, जिसमें हर नेता को अपनी बात कहने का मौका मिलता था।

◆ विस्तार से पैदा हो रहा विचारधारा का संकट

संघ का मानना है कि पार्टी का पिछले कुछ सालों में तेज गति से विस्तार हुआ है और अन्य दलों के लोग भी भाजपा में शामिल हुए हैं। कटनी जिले में लोकसभा चुनाव के पहले तो बड़ी संख्या में कांग्रेस के लोगों ने बीजेपी का दामन थाम लिया। ऐसे में अब कटनी की भाजपा में अन्य विचारधारा के नेताओं की भीड़ बढ़ गई है। सूत्र बताते हैं कि नए नेता न तो संघ की परिपाटी से परिचित हैं और न ही बीजेपी की। इसलिये भी संगठन मंत्रियों की नियुक्ति आवश्यक है। ये संगठन मंत्री संघ की संरचना के आधार पर ही तैनात किए जाएंगे। सूत्रों का यह भी कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में संगठन के भीतर बड़ा फेरबदल हो सकता है। पार्टी आने वाले समय के हिसाब से खुदको तैयार करना चाह रही है। संघ ने भी भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है।

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