श्री बागेश्वर सरकार के भक्त ने श्याम मानव पर ठोका आपराधिक मानहानि का मुकदमा
जबलपुर , श्री बागेश्वर धाम के एक अनुयाई भीष्मदेव शर्मा जो कृषि विभाग के रिटायर्ड आधिकारी हैं ने अधिवक्ता डा. रश्मि पाठक के माध्यम से बागेश्वर धाम के मठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की ख्याति को महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से संबन्धित श्याम मानव पर जबलपुर की जिला अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर आरोपी को सजा देने की मांग की है। इस संबंध में पीड़ित की वकील डा. रश्मि पाठक ने बताया की जबलपुर की जिला अदालत में आरोपी के खिलाफ़ भारतीय दंड विधान की धारा 499 एवं 500 के तहत इस्तगासा दायर कर दिया गया है। उपरोक्त मुकदमे में आरोप है की श्याम मानव द्वारा एक आपराधिक साजिश के तहत श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी की बेदाग छवि और ख्याति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के लिए एक षड्यंत्र के तहत आरोपी द्वारा नागपुर में उनकी कथा के दौरान 11 जनवरी को एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर आरोपी ने सनातन धर्म के प्रचारक श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का अपमान किया है।श्याम मानव जो अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से सम्बन्ध रखते हैं ने श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पर आम जनता के साथ छल कर पैसा कमाने के आरोप उक्त पत्रकार वार्ता के माध्यम से लगाए थे एवं आरोपी श्याम मानव ने श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विरुद्ध अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें जादू टोना कानून 1954 एवं महाराष्ट्र सरकार के काला जादू कानून 2013 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुए उनको गिरफ्तार करने की मांग की थी। इसके बाद से ही सारे सनातनी समाज में बवाल मच गया था और जिससे सारे सनातनी समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। उक्त पत्रकार वार्ता का जवाब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने उनकी छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर शहर में हुई कथा के दौरान दिनांक 20 जनवरी को दिया जिसमे उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के कई न्यूज़ चैनल और प्रिंट मीडिया पत्रकारों के सामने श्याम मानव को उनके राम दरबार में आने हेतु चुनौती दी थी। इसी दरबार के दौरान शास्त्री जी ने लाखों भक्तों की मौजूदगी में एक राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार के बारे में अपनी विधा के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करी थी जिसे देखकर सारा देश स्तब्ध रह गया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आरोपी जानबूझकर शास्त्री के उक्त राम दरबार में नहीं आया जो इस बात को स्वयं सिद्ध करता है कि आरोपी ने आपराधिक मानहानि कर हिंदू समाज की भावनाओं को आहत किया है।