जबलपुर,यशभारत। शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका की आज बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई तय थी। मुख्य न्यायमूर्ति रवि मलिमथ तथा पुरुषेन्द कौरव की खंडपीठ मे द्वारा उक्त मामले की सुनवाई किया जाना था, लेकिन उक्त प्रकरण की सुनवाई से जस्टिस कौरव ने अपने आप को अलग कर लिया है जिस कारण आज मामले की सुनवाई नहीं हो सकी तथा उक्त प्रकरण की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है । उक्त प्रकरण में शासकीय अधिवक्ता लोकसेवक का पद है, जिससे आरक्षण नियमों को लागू करने शासन बाध्य है ।
उक्त याचिका में 17 फ रवरी को महाधिवक्ता कार्यालय जबलपुर, इंदौर एवं ग्वालियर मे शासकीय अधिवक्ताओं के बिभिन्न पदों पर 140 अधिवक्ताओं की शासकीय अधिवक्ताओं के रूप मे नियुक्ति की गई है । उक्त नियुक्तियों में अनुसूचित जनजाती वर्ग से एक भी अधिवक्ता को शासकीय अधिवक्ता के रूप मे नियुक्ति नहीं दी गई है । याचिकाकर्ता अधिवक्ता कुशराम ने उक्त याचिका में स्वंय को शासकीय अधिवक्ता के रूप में नियुक्ति नही चाही है बल्कि उक्त याचिका में नियुक्तियों को संविधान के अनुछेद 14ए15 एवं 16 से असंगत बताते हुए मध्य प्रदेश ; लोक सेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 का उल्लंघन बताते हुए अधिनियम की धारा 14 के तहत उक्त नियुक्तियां शून्य घोषित करने की मांग की गई है ! वही आज मामले की सुनवाई के पूर्व ही न्यायमूर्ति पुरुषेन्द कौरव ने उक्त याचिका की सुनवाई करने से अपने आप को पृथक कर लिया है जिसके कारण उक्त याचिका की सुनवाई अगले सप्ताह विशेष बैंच द्वारा की जाएगी ।