विश्व धरोहर दिवस पर यश भारत विशेष : आष्टा का काली मंदिर से लेकर रिछारिया बाबा तक, चार प्राचीन स्मारकों का ऐतिहासिक इतिहास

सिवनी यश भारत:-सिवनी जिले में चार ऐतिहासिक धरोहरें हैं जो राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा रखती हैं। इनमें आष्टा का काली माता मंदिर, केवलारी का नागाबाबा घंसौर केंद्र, समयकोगढ़ी और धनोरा का रिछारिया बाबा शामिल हैं। ये स्थल न केवल देश बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।
आष्टा स्थित काली माता मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। यादव राजा महादेव के मंत्री हिमाद्रि ने इसका निर्माण करवाया था। उनके नाम पर हिमांदपंथी स्थापत्य शैली विकसित हुई। यहां पहले आठ मंदिर थे, जिसके कारण इसे आष्टा मंदिर कहा जाता है।
केवलारी के घंसौर में स्थित नागाबाबा स्थल प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों का खजाना है। कहा जाता है कि यहां 52 मंदिर और एक तालाब था, जिसे ताल घंसौर के नाम से जाना जाता है। यहां जैन धर्म के तीर्थंकर की प्रतिमा भी स्थापित है।
लखनादौन के आदेगांव में स्थित मराठा कालीन गढ़ी 18वीं सदी की है। नागपुर के रघुजी भौसले ने इसकी जागीर खडक भारती गोसाई को सौंपी थी। गढ़ी में एक प्राचीन काल भैरव मंदिर है, जहां कालभैरव, बटुकभैरव और नागभैरव की मूर्तियां स्थापित हैं।
धनौरा के गुवारी गांव में स्थित रिछारिया बाबा की विष्णु प्रतिमा भूरे बुलआ पत्थर से निर्मित है। विष्णु को पद्मासन मुद्रा में दर्शाया गया है। प्रतिमा में किरीटकुकुट, कुंडल, मुक्ताहार और यज्ञोपवीत की सुंदर नक्काशी है। यहां कार्तिक पूर्णिमा पर सात दिवसीय मेला लगता है।