लीज निरस्त होने के निर्णय के बावजूद ट्रांसपोर्टर्स से जमा कर लिए 1 लाख 19 हजार

कटनी। नगर निगम में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें लीज होल्डर का पैसा पहले जमा हो गया, बाद में उसका पट्टा निरस्त हुआ। इस कारनामे को अंजाम देने वाले निगम कर्मी विजय शर्मा को कमिश्नर ने सस्पेंड कर दिया है। यह मामला ट्रांसपोर्ट नगर से जुड़ा है। मेयर इन काउंसिल की बैठक में 8 ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों की लीज निरस्त करने का निर्णय हो जाने के बावजूद एक ट्रांसपोर्टर्स से लीज की राशि जमा करा ली गई। विजय शर्मा ने ट्रांसपोर्टर्स को फायदा पहुंचाने के लिए बिना सक्षम अधिकारियों को बताए पैसा जमा करा लिया ताकि बाद में ट्रांसपोर्टर्स का दावा लीज की आबंटित जमीन पर मजबूत रहे।
गौरतलब है कि 27 सितंबर 2024 को आयोजित मेयर-इन-काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया गया था कि जो ट्रांसपोर्टर कहीं भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय नहीं कर रहे हैं उनके आबंटित भूखण्ड का अनुबंध पंजीयन निरस्त करते हुये भूखण्ड का आधिपत्य नगर निगम द्वारा वापस ले लिया जाए। सूत्रों के मुताबिक 13.11.2024 को नगर निगम द्वारा एमआईसी के निर्णय के अनुसार दिल्ली यूपी एमपी ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक आरएस खुराना अजीत खुराना के नाम जारी पट्टे को अनुबंध की शर्तों व प्रावधानों का उल्लंघन करने पर निरस्त कर दिया गया था आबंटित भूखण्ड का कब्जा बगैर मुआवजा के निकाय अधिपत्य में वापस लिये जाने की कार्यवाही की गई। बताया जा रहा है कि नगर निगम के लिपिक विजय शर्मा ने पट्टा निरस्त होने के पहले आरएसएस खुराना से 9 अक्टूबर को ही 1 लाख 19 हजार 475 रुपए की राशि जमा करा ली थी, जबकि एमआईसी के निर्णय के बाद उक्त ट्रांसपोर्टर्स का नाम लीज निरस्त होने वाले ट्रांसपोर्टर्स की सूची में आ चुका था। विजय शर्मा द्वारा निगम के बड़े अधिकारियों और ट्रांसपोर्ट नगर योजना के प्रभारी को राशि जमा कराने की जानकारी लगभग एक माह तक नहीं दी गई। निगम ने जब 8 लोगों के पट्टे निरस्त करने का आदेश जारी किया तो आरएस खुराना की ओर से आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा गया कि जब उनकी लीज की राशि एक माह पहले जमा हो चुकी है तो आखिर किस आधार पर उनकी लीज निरस्त कर दी गई। विजय शर्मा की वजह से निगम को ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ा।
क्या कहते हैं आयुक्त
इस सिलसिले में नगर निगम आयुक्त नीलेश दुबे ने यशभारत को बताया कि विजय शर्मा ने 20 नवंबर को बिना सक्षम स्वीकृति एवं बिना विभाग प्रमुख के संज्ञान में लाये आर.एस.खुराना, अजीत सिंह की राशि नगर निगम काउंटर में जमा कराई। इसमें प्रथम दृष्टया त्रुटि परिलक्षित होती है। प्रकरण में इनकी संन्निष्ठता संदिग्ध प्रतीत होती है। इसलिए उक्त कृत्य को म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 नियम 3 (1) एवं (2) का उल्ल्घंन मानते हुए निलंबित कर दिया गया है।