युद्धभूमि में कभी हार नहीं मानने वाले राष्ट्र गौरव शिवाजी महाराज 2014 के बाद मिली आज़ादी और भ्रष्टाचार से हार गये : के.के. मिश्रा
यश भारत (पॉलिटिकल डेस्क)/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जिस मुंह से लगातार झूठ परोस रहे हैं उसी मुंह से अब शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर माफ़ी क्यों मांग रहे हैं? क्या यह “राजनैतिक पाखंड” शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने में हुए बड़े भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति है? महाराष्ट्र में जब आपके संरक्षण में कालेधन के उपयोग से गिराई गई एक निर्वाचित सरकार के बाद आपकी विचारधारा की ही मौजूदा सरकार क़ाबिज़ है,तो माफ़ी आपकी ओर से क्यो? शायद इसलिए कि आगामी दिनों महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं?
ये सवाल मप्र कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केकेमिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, शिवाजी महाराज आपके ही नहीं समूचे देश के गौरव-आराध्य हैं। आपके ही कथानानुसार 2013 में प्रधानमंत्री के रूप में आपकी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद सबसे पहले आप इसी प्रतिमा स्थल पर नमन करने पहुंचे थे और आज वही पूज्य प्रतिमा भ्रष्टाचार की भेंट कैसे चढ़ गई? सुना है, इसका अनावरण भी आपने ही किया था?
श्री मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी, आखिर ऐसा क्या है कि हाल ही में हुई पहली व सामान्य बारिश में ही अयोध्या में राम मंदिर, उज्जैन में महाकाल मंदिर, गुजरात के स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, भारतीय संसद के नये भवन, कई विमानतल टर्मिनल, पुल-पुलिया, बांध, सड़कों, वन्दे मातरम् ट्रेन इत्यादि निर्माणोपरांत हुए व्यापक भ्रष्टाचार से हुई दुर्दशा, मूर्तियों के ध्वस्त होने की जो घटनायें सामने आईं हैं, प्रासंगिक व उल्लेखनीय यह भी है। इनमें अधिकांश का लोकार्पण व शुभारंभ ‘‘आपके ही करकमलो’’ से हुआ था, इन असहनीय और प्रामाणिक धार्मिक- सामाजिक- राजनैतिक- आर्थिक अपराधों की माफ़ी कौन मांगेगा?
श्री मिश्रा ने कहा कि देश में आपकी सरकार की ग़लतियों, अहंकार के कारण, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के इतिहास में लंबे समय तक चले ‘‘किसान आंदोलन’’ के दौरान क़रीब 700 अन्नदाता ‘शहीद’ हुए इसकी माफ़ी कौन मांगेगा? आपकी ही एक ‘अनुचर’ देश के अन्नदाताओं को आतंकवादी, बलात्कारी बतायें, इस पर भी ’माफ़ी कौन मांगेगा?
श्री मिश्रा ने प्रधानमंत्री जी से कहा कि युगदृष्टा भगवान राम जी धन्य हैं, जिन्होंने ‘रामसेतु का निर्माण’ अपनी सेना, अनन्य भक्त (अन्धभक्त नहीं) हनुमान और गिलहरी तक का सहयोग लेकर करवाया। यदि “भगवान” के रूप में आप उनसे पहले प्रकट हो गये होते और उसका निर्माण भी गांधी-पटेल के सम्मान से सम्मानित गुजरात की भ्रष्ट निर्माण कम्पनियां करती तो ‘‘रामसेतु का हश्र भी उक्त उल्लिखित जैसे सभी बड़े निर्माणों जैसा होता।