यश भारत विशेष : मण्डला जिले की प्रसिद्ध चौगान की देवी मढि़या में हजारों की संख्या में ज्वारे व कलशों की हुई स्थापना
माता के दरबार में श्रद्धालुओं को लगा मेला, पूरी होती है हर मन्नत

मंडलाl देश भर में नवरात्रि के दौरान जवारे रखे जाते हैं, एक साथ हजारों की संख्या में जवारे रखते हैं. मंडला में चौगान की मढ़िया में अनोखे तरीके से नवरात्रि मनाई जाती है. यहां स्वर्ग की सीढ़ी पर दीप जलाकर आधीरात को महाआरती की जाती है. देश भर के कई राज्यों से लोग माता के दरबार में माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं.गोंडवाना राजवंश की पुरातन राजधानी के रूप पहचाने जाने वाले रामनगर के नजदीक चौगान की मढ़िया में नवरात्रि के दौरान श्रद्धा-भक्ति का अनोखा नजारा है।
वैसे तो वर्ष भर दूर-दूर से श्रद्धालु पूजन के लिए यहां पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान स्थापित जवारे, कलश की स्थापना और पूजन के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर रामनगर के नजदीक चौगान की मढ़िया जनजाति समाज का पवित्र तीर्थ स्थल और कुलदेवी का स्थान माना जाता है। यहां पडोसी जिलों सहित दूसरे प्रदेशों से भी हर वर्ग के लोग मन्नत मांगने आते हैं। स्थानीय लोग पंडा का चमीटा और धूनी की भभूत (राख) को चमत्कारी मानते हैं। लोगों की मान्यता है कि एक चुटकी भभूत (राख) खाने और दरबार में माथा टेकने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बीमारियों सहित अन्य समस्यायों से निजात मिलती है। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त को यहां ज्योति कलश की स्थापना कराना जरूरी होता है।
मढ़िया में है देवी का वास
श्रद्धालुओं का मानना है कि चौगान की मढ़िया में देवी का वास है। दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं से निजात पाने की आस लेकर यहां पहुंचते हैं। यहां आने के बाद सबसे पहले नारियल अगरबत्ती के साथ अपनी मनोकामना देवी से कहनी होती है और पंडा के सामने अर्जी लगानी होती है। पंडा के द्वारा लगातार जलती आ रही धूनी की एक चुटकी भभूत मां के आशीर्वाद के रूप में दी जाती है। जिसे खाने के बाद बीमारियों के दूर होने और मनोकामना पूरी होने की बात कही जाती है।
मनोकामना पूरी होने पर बोते हैं जवारे
जिस किसी की भी यहां मन्नत पूरी होती है, उन्हें नवरात्रि के दौरान इस स्थान पर बांस की टोकरी, मिट्टी का बड़ा दीपक और तेल-बाती लेकर आना होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन पुजारी के द्वारा बताए स्थान से खास तरह की मिट्टी सभी को लानी होती है, जिसके बाद धान के ज्वारे टोकरी में बोए जाते हैं। एक साथ ज्योति प्रज्वलित कर कलशों की स्थापना की जाती है। वर्ष की दोनों नवरात्रि में कलश-जवारे की स्थापना के दौरान यहाँ दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।