मध्य प्रदेशराज्य
यश भारत विशेष : जन्म से दोनों हाथ के पंजे ,एक पैर नहीं, कोहनियों से ब्लैक बोर्ड पर लिखकर पढ़ाते हैं भगवानदीन
शिक्षक का जज्बा - हजाऱों दिवयांगो के लिए प्रेरणा स्रोतबने अतिथि शिक्षक

डिंडौरीIदिव्यांग होना किसी भी व्यक्ति की मजबूरी हो सकती है पर इस मजबूरी शब्द को अपवाद साबित कर दिया है शिक्षक भगवानदीन ने , हम बात कर रहे हैं जिले के सहजपुरी गांव में रहने वाले भगवानदीन धुर्वे की l जिन्होंने अपने जज्बे के आगे मजबूरी को बहादुरी में बदल दिया हैl जन्म से ही उनके दोनों हाथ और पैर नहीं हैं, लेकिन उन्होंने साल 2013 से सहजपुरी प्राथमिक विद्यालय में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा शुरू की। जल्द ही उन्होंने सबका दिलजीत लिया। वे कलम को दोनों हाथों की कलाई से पकड़कर बोर्ड पर लिखते हैं। उनका कहना है कि, हार केवल वही मानता है जो कोशिश छोड़ देता है।
उनके छात्र नवीन, शिवा, संगीता, आकांक्षा आदि कहते हैं कि सर बच्चों को समझाते हैं कि संघर्ष से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि कठिनाइयां ही इंसान को मजबूत बनाती हैं। उनके पढ़ाने का तरीका सरल और भावनात्मक है।
बता दें कि भगवानदीन का जन्म 2 फरवरी 1974 को हुआ था। उनका विवाह 2012 में कलाबाई धुर्वे के साथ हुआ। उनकी 13 व 10 वर्ष की दो बेटियां हैं। पीएम आवास योजना के तहत कलाबाई धुर्वे को घर की सुविधा मिली हुई है, जिसमें भगवानदीन रहते हैं। और अपने परिवार में मुखिया का फर्ज निभा रहे हैं।
ग्रामीण बोले- शिक्षक खुद करते हैं अपने सारे काम
बिसाहू लाल, रमेश, सोहन सहित गांव के लोग भगवानदीन को ‘चलता-फिरता साहस’ का देवता कहते हैं। वे अपने सारे काम खुद करते हैं, चाहे कपड़े पहनना हो, खाना खाना या मोबाइल चलाना। वे पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं।
इनका कहना है…
शिक्षक का काम सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि मनुष्य में विश्वास जगाना है। शरीर नहीं, सोच अगर मजबूत हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।
भगवानदीन परस्ते, शिक्षक, सहजपुरी
भगवान दीन धुर्वे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरणा स्रोत है, ऐंसे शिक्षकों का हम सम्मान करते हैं और उनके बच्चों को भी जैसी आवश्यकता होगी सहायता जरूर करेंगे l
राजेन्द्र जाटव, सहायक आयुक्त, जनजाति कार्य विभाग डिंडोरी







