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YASH BHARAR EXCLUSIVE : महिलाओं के भरोसे परिवार नियोजन, पुरूषों में नहीं आ रही जागरूकता :  हर वर्ष सात हजार से ज्यादा महिलाएं अपना रही परिवार नियोजन, पुरुषों की संख्या पचास से कम

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सिवनी यश भारत:-जिले में परिवार नियोजन (नसबंदी) के प्रति पुरुष अब भी जागरूक नहीं हो पाए हैं।नसबंदी के मामले में हमेशा से महिलाओं से पीछे रहने वाले पुरुषों की संख्या में कोई सुधार नहीं हो पाया है।स्वास्थ्य विभाग का अमला पुरूषों को जागरूक करने के लिए अभियान तो चलाता है। लेकिन उसका बेहतर प्रभाव नही हो रहा है।वर्तमान में भी स्वास्थ्य विभाग परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए चार दिसंबर तक पखवाड़ा चला रहा है। इसके बाद भी पुरुष की भागीदारी नहीं बढ़ पा रही है। पांच वर्ष के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हर वर्ष सात हजार से अधिक महिलाएं परिवार नियोजन के लिए नसबंदी करा रहीं है जबकि पुरुषों की संख्या पचास से भी कम हैं।

 

संकोच और भ्रांतियां बन रही कारण:-

बीते कुछ वर्षाें में हुई नसबंदी के आंकड़ों से यह साफ नजर आ रहा है कि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी केवल महिलाओं ने ही ले रखी है।पुरूष वर्ग अब भी संकाेच और भ्रांतियों से नहीं उबर पा रहे है।समाज में फैली भ्रांतियों के कारण पुरुष अब भी नसबंदी करवाने से घबरा रहे हैं। इस मामले में जब कुछ पुरूषों से बात की गई तो उन्होंने नसबंदी कराने पर शरीर में कई नुकसान होने की आशंका बताई।उन्होंने बताया कि नसबंदी कराने से शरीर में कमजोरी आने की आशंका, नपुंसक होने का खतरा, भारी श्रम करने में परेशानी की आशंका और शरीर में थकावट रहने की समस्या बढ़ सकती है।

सीएचएमओ दे रहे सलाह:-

इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर जयपाल ठाकुर का कहना है कि पुरूष नसबंदी एक बहुत ही आसान व सरल बिना चीरा, टांका दर्द रहित पद्धति है। इसमें नसबंदी करने में मात्र पांच से 10 मिनिट का समय लगता है और पुरूष को भर्ती होने की भी आवश्यकता नहीं है। नसबंदी के बाद पुरूष अपने घर जा सकते है। इसमें किसी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं होती है। पुरूष नसबंदी कराने पर तीन हजार रुपये और प्रेरक को चार सौ रुपए मिलते हैं।

 

महिलाओं से आसान है पुरूष नसबंदी:-

परिवार नियोजन कार्यक्रम में कार्य कर रहे कर्मचारियों का कहना है की महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की नसबंदी आसान हैं। महिलाओं को बड़ा चीरा लगाना होता है और उन्हें फिर से सामान्य कामकाज करने में अधिक समय लगता है।इसके अलावा सरकार महिलाओं की अपेक्षा पुरूष को नसबंदी कराने पर ज्यादा प्रोत्साहन राशि दे रही है।महिला नसबंदी, प्रसव के सात दिन के भीतर हितग्राही को तीन हजार रुपये व प्रेरक को चार सौ रुपये, दूरबीन पद्धति से आपरेशन कराने पर महिला को दो हजार रुपये व प्रेरक को तीन सौ रुपये, पीपीआईयूसीडी हितग्राही को तीन सौ रुपये व प्रेरक को 150 रुपये, अंतरा इंजेक्शन में हितग्राही को सौ रुपये व प्रेरक को सौ रुपये की राशि बैंक खाते के माध्यम से प्रदान की जाती है।

 

जागरूकता लाने चला रहे अभियान:-

सीएमएचओ ने यह भी बताया है कि पुरूषों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर कर उन्हे जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।आगामी चार दिसंबर तक पुरूषों को जागरूक करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए पखवाड़ा आयोजित किया जा रहा है।इसके प्रथम चरण में मोबिलाइजेशन व जागरूकता गतिविधियां 27 नवंबर तक आयोजित की गई। इसके तहत मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा स्थाई व अस्थाई गर्भनिरोधक के उपयोगकर्ताओं को चिन्हित करना व हितग्राहियों को जागरूक करने के लिए जनप्रतिनिधियों, समाजसेवी, धर्मगुरूओं आदि का सहयोग लेकर परिवार नियोजन में पुरूषों की भागीदारी को बढ़ावा देना सम्मिलित था। पखवाड़े का दूसरा चरण आज 28 नवंबर से चार दिसंबर तक आयोजित होगा। इसमें कैंप लगाकर पुरूष नसबंदी की जाएगी। इसी क्रम में 28 नवंबर से चार दिसंबर तक प्रतिदिन जिला अस्पताल व सिविल अस्पताल लखनादौन में एनएसवी आपरेशन किए जाएंगे।

 

बीते पांच सालों में हुई नसबंदी के आंकड़े:-

वर्ष – नसबंदी का लक्ष्य – महिला – पुरूष

2019-20 – 9502 – 7208 – 56

2020-21 – 7304 – 7836 – 38

2021-22 – 7657 – 7732 – 34

2022-23 – 8086 – 7432 – 35

2023-24 – 8152 – 7102 – 35

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