यशभारत विशेष : लोगों के जेहन में कैद है जिले के लिए सडक़ पर संघर्ष की स्मृतियां, आज ही के दिन कटनी बना था जिला, 27 साल पूरे
कटनी, यशभारत। जिले का दर्जा हासिल हुए कटनी को आज 27 साल बीत चुके हैं। आज ही के दिन 25 मई 1998 को तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा कटनी को तहसील से जिले का दर्जा दिया गया था। जिले की मांग को लेकर चले संघर्ष की कहानी आज भी लोगों की स्मृतियों में ताजा है। संघर्ष के उस दौर में तमाम जाने कितने बड़े आंदोलन हुए। लोग सडक़ों पर उतरे, लाठियां खाई और अपना लहू बहाया, तब जाकर इस इलाके को जिले का तमगा हासिल हुआ। शताब्दी का एक चौथाई वक्त फिसल जाने के बावजूद हम विकास के मामले में आज भी फिसड्डी बने हुए हैं। अब भी राजधानी के सत्ताधीशों की तरफ ताक रहे हैं। 27 सालों में कटनी के साथ हुए छलावे का जिम्मेदार कौन है, यह खुद नागरिक तय करेंगे। यशभारत आज जिले की लड़ाई के उस दौर के कुछ पन्नों को खोल रहा है…
नकली विधायक बनकर विधानसभा पहुंच गए थे युवा नेता
कुछ संस्मरणों को याद करते हुए समाजसेवी राकेश सुहाने बताते हैं कि विधानसभा में ऐतिहासिक हंगामा करने वाले युवा क्रांतिकारी नेता पंंडित रमाकांत पाठक विधानसभा में अनुपस्थित एक विधायक की सीट में जाकर बैठ गए। प्रश्नोत्तरकाल के दौरान 29 अगस्त 1978 को ओजस्वी भाषण के साथ ही काम रोको प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष के मना करने के बाद भी अपनी बात कह डाली और तत्कालीन जनप्रतिनिधियों पर अक्षमता का आरोप लगाया एवं कटनी को जिला बनाने की मांग उठाई। राज्य विधानसभा में सन 1980 में कटनी जिला बनाने की मांग पर उपस्थित 120 विधायकों के विशाल बहुमत ने इस मांग को पुरजोर ढंग से उठाया एवं स्थानीय तौर पर भी अनेक प्रदर्शन होते रहे हैं। जिला बनाने की बढ़ती जनभावनाओं को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने पहल कर जिला पुर्नगठन आयोग का विधिवत गठन किया एवं इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
25 मई 1998 को अस्तित्व में आया नया जिला
तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा 3 सितम्बर 1992 को नये 16 जिलों के गठन की घोषणा की गई थी। उस समय इस समाचार को लेकर हर्षपूर्ण वातावरण में छोटी दीवाली जैसा माहौल था किंतु श्री पटवा का 60 दिनों में जिले का अस्तित्व प्रदान करने का संकल्प कुछ ही दिनों में राजनीति की विसात में फंसकर रह गया। इस माहौल मेें जनप्रतिनिधियों द्वारा मुख्यमंत्री से लगातार सम्पर्क कर एवं विधानसभा में अनेकों बार मामला उठाकर 1996 में आयोग की रिपोर्ट का हिन्दी अनुवाद प्रकाशन आम नागरिकों के लिये कराकर सचिव राजस्व विभाग मप्र शासन में सुझाव आपत्तियां आम नागरिकों से आमंत्रित कराई गई। जिसमें अनेक सुझाव दर्ज हुये। सभी में कटनी जिला घोषित करना प्रमुख मुद्दा था। इस प्रकार कुल 10 जिलों का विवादमुक्त पाया गया एवं 6 जिलों के लिये आपत्तियां दर्ज हुई। जिसके परिणामस्वरूप लगातार जिला बनाओ आंदोलन के तहत स्थानीय तौर पर अनेक प्रयास किये गये एवं अनके बार धरने सहित अन्य प्रकार से मांग को पुरजोर ढंग से उठाया गया एवं जिला बनना लगभग तय हो गया किंतु अविलम्ब ही मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 10 जिलों की घोषणा कर दी एवं तत्काल कार्यवाही कर 25 मई से अस्तित्व में क्रियान्वयन की प्रक्रिया की। जो आज जिला स्थापना दिवस के रूप में बारडोली के सम्मान में सामने है।
जनप्रतिनिधियों के प्रयास सफल
कटनी जिला बनाओ आंदोलन में शहर के जनप्रतिनिधियों का सराहनीय योगदान रहा है। जिन्होंने अपने कार्यकाल दौरान जोरदार ढंग से इस मांग को उठाया एवं विधानसभा में कार्यवाही की। उन सभी के मिश्रित प्रयासों के फलस्वरूप आज यह दिवस आया है। जब पूर्व से लेकर अब तक के विधायक विधानसभा में कटनी जिला बनाने का पक्ष रखने वाले जनप्रतिनिधि नि:संदेह बधाई के पात्र है।कटनी, यशभारत। जिले का दर्जा हासिल हुए कटनी को आज 27 साल बीत चुके हैं। आज ही के दिन 25 मई 1998 को तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा कटनी को तहसील से जिले का दर्जा दिया गया था। जिले की मांग को लेकर चले संघर्ष की कहानी आज भी लोगों की स्मृतियों में ताजा है। संघर्ष के उस दौर में तमाम जाने कितने बड़े आंदोलन हुए। लोग सडक़ों पर उतरे, लाठियां खाई और अपना लहू बहाया, तब जाकर इस इलाके को जिले का तमगा हासिल हुआ। शताब्दी का एक चौथाई वक्त फिसल जाने के बावजूद हम विकास के मामले में आज भी फिसड्डी बने हुए हैं। अब भी राजधानी के सत्ताधीशों की तरफ ताक रहे हैं। 27 सालों में कटनी के साथ हुए छलावे का जिम्मेदार कौन है, यह खुद नागरिक तय करेंगे। यशभारत आज जिले की लड़ाई के उस दौर के कुछ पन्नों को खोल रहा है…
नकली विधायक बनकर विधानसभा पहुंच गए थे युवा नेता
कुछ संस्मरणों को याद करते हुए समाजसेवी राकेश सुहाने बताते हैं कि विधानसभा में ऐतिहासिक हंगामा करने वाले युवा क्रांतिकारी नेता पंंडित रमाकांत पाठक विधानसभा में अनुपस्थित एक विधायक की सीट में जाकर बैठ गए। प्रश्नोत्तरकाल के दौरान 29 अगस्त 1978 को ओजस्वी भाषण के साथ ही काम रोको प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष के मना करने के बाद भी अपनी बात कह डाली और तत्कालीन जनप्रतिनिधियों पर अक्षमता का आरोप लगाया एवं कटनी को जिला बनाने की मांग उठाई। राज्य विधानसभा में सन 1980 में कटनी जिला बनाने की मांग पर उपस्थित 120 विधायकों के विशाल बहुमत ने इस मांग को पुरजोर ढंग से उठाया एवं स्थानीय तौर पर भी अनेक प्रदर्शन होते रहे हैं। जिला बनाने की बढ़ती जनभावनाओं को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने पहल कर जिला पुर्नगठन आयोग का विधिवत गठन किया एवं इसकी प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
25 मई 1998 को अस्तित्व में आया नया जिला
तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा 3 सितम्बर 1992 को नये 16 जिलों के गठन की घोषणा की गई थी। उस समय इस समाचार को लेकर हर्षपूर्ण वातावरण में छोटी दीवाली जैसा माहौल था किंतु श्री पटवा का 60 दिनों में जिले का अस्तित्व प्रदान करने का संकल्प कुछ ही दिनों में राजनीति की विसात में फंसकर रह गया। इस माहौल मेें जनप्रतिनिधियों द्वारा मुख्यमंत्री से लगातार सम्पर्क कर एवं विधानसभा में अनेकों बार मामला उठाकर 1996 में आयोग की रिपोर्ट का हिन्दी अनुवाद प्रकाशन आम नागरिकों के लिये कराकर सचिव राजस्व विभाग मप्र शासन में सुझाव आपत्तियां आम नागरिकों से आमंत्रित कराई गई। जिसमें अनेक सुझाव दर्ज हुये। सभी में कटनी जिला घोषित करना प्रमुख मुद्दा था। इस प्रकार कुल 10 जिलों का विवादमुक्त पाया गया एवं 6 जिलों के लिये आपत्तियां दर्ज हुई। जिसके परिणामस्वरूप लगातार जिला बनाओ आंदोलन के तहत स्थानीय तौर पर अनेक प्रयास किये गये एवं अनके बार धरने सहित अन्य प्रकार से मांग को पुरजोर ढंग से उठाया गया एवं जिला बनना लगभग तय हो गया किंतु अविलम्ब ही मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 10 जिलों की घोषणा कर दी एवं तत्काल कार्यवाही कर 25 मई से अस्तित्व में क्रियान्वयन की प्रक्रिया की। जो आज जिला स्थापना दिवस के रूप में बारडोली के सम्मान में सामने है।
जनप्रतिनिधियों के प्रयास सफल
कटनी जिला बनाओ आंदोलन में शहर के जनप्रतिनिधियों का सराहनीय योगदान रहा है। जिन्होंने अपने कार्यकाल दौरान जोरदार ढंग से इस मांग को उठाया एवं विधानसभा में कार्यवाही की। उन सभी के मिश्रित प्रयासों के फलस्वरूप आज यह दिवस आया है। जब पूर्व से लेकर अब तक के विधायक विधानसभा में कटनी जिला बनाने का पक्ष रखने वाले जनप्रतिनिधि नि:संदेह बधाई के पात्र है।
