जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के रुके परीक्षा परिणाम घोषित करने हजारों छात्र-छात्राएं परेशान: तुगलकी फरमान से भविष्य अंधकारमय 

सागर यशभारत (संभागीय ब्यूरो)/ महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा अपनी ही गलती से रुके हुए परीक्षा परिणाम को घोषित करने के मामले में यहां के प्रशासन के तुगलकी फरमानों से इस विश्वविद्यालय से जुड़े हजारों छात्र-छात्राएं हर दिन परेशान हो रहे हैं और उनका भविष्य अंधकार में होता जा रहा है।

 

छतरपुर के महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह और सागर जिले के सभी महाविद्यालय आते हैं। इन महाविद्यालय में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम विश्वविद्यालय की किसी गलती या संबंधित महाविद्यालय द्वारा परीक्षा संबंधी जानकारी समय पर नहीं भेजे जाने अथवा किसी अन्य तकनीकी कारणों से लंबित हैं। जिन्हें घोषित कराने के लिए इन जिलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं संबंधित महाविद्यालय से लेकर छतरपुर स्थित एमसीबीयू विश्वविद्यालय के कार्यालय तक लगातार भटक रहे हैं।

 

विभिन्न कारणों से लंबित इन परीक्षा परिणाम को घोषित करने के लिए विश्वविद्यालय ने संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य को 200 रु प्रति परीक्षार्थी की दर से बैंक ड्राफ्ट के द्वारा शुल्क जमा करने के लिए निर्देशित किया है। जो संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य की ओर से विश्वविद्यालय के नाम पर ही जमा किया जा सकता है।

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के इस तुगलकी फरमान से संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य और परीक्षार्थी दोनों ही परेशान हैं। संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य 200 रु प्रति परीक्षार्थी उक्त राशि को किस स्वीकृति के आधार पर और किस मद से निकालकर देंगे यह सवाल उनके बीच बना हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ कोई भी सरकारी बैंक किसी भी संस्था प्रधान के नाम से विद्यार्थी को बैंक ड्राफ्ट बनाकर देने की अनुमति नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि कोई विद्यार्थी अपने नाम से ड्राफ्ट बनाकर विश्वविद्यालय को भेजता है तो उसका प्रकरण रद्द कर रोका गया परिणाम घोषित नहीं किया जा रहा है।

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर की इस कार्य प्रणाली से जहां एक और पूरे संभाग के हजारों विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं और उनका भविष्य अंधकार में हो रहा है वहीं दूसरी तरफ सरकारी कॉलेज के प्राचार्य भी इस तुगलकी फरमान से परेशान हो रहे हैं।

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