मनमानी से बाज नहीं आ रहे प्राईवेट स्कूल, महंगी किताबों के साथ वसूल रहे 12 महीने की फीस, प्रशासन का भी डर नहीं

कटनी, यशभारत। शिक्षा का नवीन सत्र के बाद एक बार फिर बच्चों और अभिभावकों की परेशानियां बढ़ गई है। सरकार की गाइडलाइन के बाबजूद निजी विद्यालय मनमानी पर उतारू है। जिला प्रशासन की सख्ती के बाबजूद महंगा सिलेवस चलाया जा रहा हैं। प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों के बाबजूद निजी विद्यालय 12 महीने की फीस वसूल रहे है। शिक्षा विभाग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जब सरकार ने एक वर्ष पूर्व फीस को नियम बना दिया था तो फिर नियम विरुद्ध कैसे निजी विद्यालय 25 हजार से ज्यादा फ ीस बिना विभगीय अनुमति के वसूल रहे है। वही इस सबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है शिकायत मिलने पर कार्यवाही तय की जाएगी।
ये है नया नियम
जानकारी के अनुसार प्राइवेट स्कूलों में फीस वृद्धि पर नया नियम लागू है। फीस भी अलग से लेने पर रोक राज्य सरकार की ओर से मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2024 को लाया गया है। इस अधिनियम के तहत अब राज्य के सभी प्राइवेट स्कूल जिनकी वार्षिक फीस 25 हजार रुपये से अधिक है उन पर फीस वृद्धि के लिए नया कानून लागू होगा। इसके साथ ही अब बस फीस को वार्षिक फीस के तहत जोड़ा जायेगा। कोई भी विद्यालय अलग से बस फीस नहीं ले सकेगा। इस नियम के तहत एमपी में अब स्कूल मनमाने ढंग से नहीं बढ़ा सकेंगे। स्कूल फीस बस फीस को भी वार्षिक शुल्क में शामिल करने का आदेश भी दिया गया है।
अब वार्षिक फीस का होगी हिस्सा
सरकार ने प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम-2024 में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक में कहा है कि अब कोई भी स्कूल परिवहन बस फीस वार्षिक फीस से अलग नहीं ले सकता है। अब बस फीस को भी वार्षिक फीस का ही भाग माना जाएगा।
25 हजार से से कम फीस लेने वाले विद्यालयों को रहेगी छूट
सरकार की ओर से राज्य के निजी विद्यालय जिनकी वार्षिक फीस 25 हजार रुपये से कम हैं उनको फीस वृद्धि के दायरे से बाहर रखा गया है, हालांकि बस फीस का रूल इन स्कूलों पर भी लागू होगा। राज्य सरकार की ओर से ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकी फीस वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके और विद्यालय मनमाने ढंग से फीस वृद्धि न कर सकें।
10 फीसदी फीस बिना अनुमति के बढ़ाने की छूट
विद्यालयों को 10 प्रतिशत फीस बढ़ोत्तरी करने पर किसी भी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होंगी लेकिन अधिक वृद्धि के लिए जिला समिति की अनुमति लेना आवश्यक है। राज्य सरकार की ओर से प्रावधान किया गया है कि अगर कोई भी विद्यालय 15 फीसदी या उससे अधिक फीस बढ़ोत्तरी करता है तो उसे जिला समिति की अनुमति लेनी होगी। जिला समिति की ओर से दिए गए निर्देशों को प्राइवेट स्कूलों को पालन करना होगा। अगर कोई स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करेगा तो अधिनियम के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब जिले में 50 से ज्यादा निजी स्कूल संचालित हैं। इनमें से 10 से ज्यादा से ऐसे विद्यालय ऐसे है, जिनकी वार्षिक फीस 25 हजार रुपये से ज्यादा वसूली जा रही है। शहर में बहुत से निजी स्कूल इन नियमों का पालन नही कर रहे है। न ही इन स्कूलों ने फीस का विवरण पोर्टल में दर्ज किया हैं नही स्कूलों में डिस्प्ले किया है।
इनका कहना है
निजी विद्यालयों की फीस और स्कूल बस के सबंध में शिकायतें आ रही है। बहुत से स्कूलों ने फीस का वार्षिक विवरण अभी तक पोर्टल में दर्ज नही किया है। इन सब विन्दुओं की जांच की जा रही है। जिन स्कूलों ने फीस विवरण, पुस्तकें, टीचर्स के नाम डिस्प्ले बोर्ड में चस्पा नही किए उन पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
-शिशिर गेमावत, सीईओ, जिला पंचायत
