मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण लागू न करने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अगली सुनवाई 4 जुलाई को

नई दिल्ली/भोपाल।
मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए 27% आरक्षण लागू न किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के रवैए पर गहरी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने बुधवार को इस मामले में विशेष सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कड़ा जवाब तलब किया और निर्देश दिया कि सरकार 4 जुलाई 2025 को कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्ट जवाब दे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि, “मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा 14 अगस्त 2019 को पारित 27% आरक्षण कानून पर कोई स्थगन (Stay) नहीं है, फिर भी सरकार एक 19 मार्च 2019 के अंतरिम आदेश के आधार पर आरक्षण लागू करने से कतरा रही है, जो विधायी प्रक्रिया के बाद पारित कानून पर लागू नहीं होता।”
कानून बना लेकिन लागू नहीं:
राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून के बावजूद आरक्षण न लागू होने से प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। PSC और अन्य भर्ती परीक्षाओं में आरक्षण के अभाव में चयन प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे सैकड़ों अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। इसीलिए उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में Writ Petition (Civil) 606/2025 के तहत याचिका दायर कर तत्काल राहत की मांग की।
हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार:
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इन मामलों में सुनवाई से इनकार कर दिया था, जिससे अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
अब नज़र 4 जुलाई की सुनवाई पर:
अब अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को होगी, जो इस प्रकरण में निर्णायक मानी जा रही है। ओबीसी वर्ग के लाखों अभ्यर्थियों की नजर इस पर टिकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद मध्य प्रदेश सरकार 27% आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू करती है या नहीं।






