
भोपाल की यूनियन कार्बाईड फैक्ट्री में गैसकांड को हुए 38 साल हो गए हैं। गैस कांड के पीड़ित जब आज भी अपने इलाज और पुनर्वास के लिए परेशान हैं तो जबलपुर हाईकोर्ट ने पूर्व दिशा-निर्देशों का पालन ना होने पर सख्ती दिखाई है। मामले पर लंबित अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जहां गैस पीड़ितों को राहत देने अब तक हुई कार्यवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है वहीं आई.सी.एम.आर यानि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डिप्टी डायरेक्टर से पूछा है कि अब तक हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों पर क्या कदम उठाए गए हैं। सुनवाई के दौरान आई.सी.एम.आर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर आर रामा कृष्णन की ओर से कहा गया कि उन्होने गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बने भोपाल के बी.एम.एच.आर.सी अस्पताल में नियुक्त स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स और रिक्त पदों बारे में दो बार पत्राचार किया है, इसमें ये बात भी सामने आई है कि डॉक्टर्स की सैलरी बढ़ाने और नई नियुक्तियों में हर साल 7 करोड़ रुपयों का अतिरिक्त खर्च भी सरकार को उठाना होगा।