जबलपुरमध्य प्रदेश

भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होगा पितृ पक्ष, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास चल रहा है। इस माह में भगवान कृष्ण और गणेश की पूजा का विधान है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में आने वाली पूर्णिमा का खास महत्व है। भाद्रपद पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन से ही पितृ पक्ष शुरू होता है। इस वर्ष 20 सितंबर को श्राद्ध पूर्णिमा पड़ रही है। पूर्णिमा से श्राद्ध की तारीख शुरू हो जाएंगी। मान्यताओं के अनुसार पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध की प्रमुख तिथियां माना गया है। पूर्णिमा के दिवस चांद की पूजा की जाती है। शास्त्रों में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इस दिन जातक पूर्णिमा का व्रत रखकर पूजा करते हैं। आइए जानते हैं पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ – 20 सिंतबर सुबह 5 बजकर 30 मिनट से

पूर्णिमा समाप्त- 21 सितंबर सुबह 5 बजकर 26 मिनट तक

पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो पूर्वज पूर्णिमा के दिए गुजर गए हैं। उनका श्राद्ध ऋषियों को समर्पित किया जाता है। इस दिन दिवंगत की फोटो की पूजा होती है। वह पितरों के नाम से पिंड दान करना चाहिए। वह कौआ, गाय और कुत्तों को प्रसाद खिलाना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर खुद खाना चाहिए।

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन सत्यनारायण की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। पूर्णिमा का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर दान करने का भी विशेष महत्व है।

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