बेरहमी से काटे जा रहे हरे-भरे वृक्ष, जंगलों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल. …? तस्कर काट रहे चांदी
मण्डला lनिवास मुख्यालय में इन दिनों हरे-भरे वृक्षों की बेहरमी से कटाई की जा रही है। मामला मंडला जिले के निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल का है जहां जगलों की अंधाधुधं कटाई की जा रही हैं। सूत्रों से मिली प्राप्त जानकारी के अनुसार रात्रिकालीन पाठा देवगांव रोड, थानम गांव रोड से लगे जंगल जिसमे मुनारे पर एक तरफ लिखा हुआ है पिपरिया व मलहेरी, कक्ष क्रमांक 0.835, कुसमी बीट कक्ष क्रमांक-0.842 जहां जंगल के पीछे तरफ वृक्षों की वेधडक़ कटाई चल रही है। इस तस्वीर को देख जंगलों की सुरक्षा में बडी लापरवाही को दर्शाती हैं।
कटते हुऐ हरे भरे पेड़ दरअसल पूरा मामला निवास पश्चिम सामान वन मंडल का है। जहां ग्रामीण अंचलों से लगा हुआ तमाम जंगल का क्षेत्र है। लेकिन जंगलों में लगे हरे भरे वृक्ष अब अनदेखी का शिकार हो रहे है। या फिर यूं समझे की इनकी सुरक्षा दे रहे वनकर्मी अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही बरत रहे हैं। जिसका खामयाजा अब हरे भरे वृक्ष कट कर पुरा कर रहे है। निवास से चंद दूरी पर बेस पाठा देवगांव रोड पर लगा जंगल है। जहां पर ज्यादातर बांस लगा हुआ है। लेकिन जंगल के अंदर हरे भरे वृक्ष भी लगे हुए हैं। तस्वरी में जंगल के बीच देखा गया तो पता चला कि लापरवाही की तो हद हो गई। जंगल में जलाऊ लकड़ी के लिए हरे भरे वृक्ष बलि चढ़ रहे हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है। कि जब वन विभाग से चंद दूरी पर लगे जंगल की देखभाल नहीं हो रही तो फिर किलोमीटर की दूरी पर लगे जंगल जो ग्रामीण अंचल से लगे हुए हैं। उनकी सुरक्षा कैसे की जा सकती है। इसके लिए कुछ नजदीकी ग्राम से लगे जंगलों का ग्राउंड फीड बैक लिया गया, उसके बाद जो तस्वीरें निकल कर सामने आई वह यह थी कि चारों तरफ जंगलों की कटाई में कोई कमी नहीं मिली जंगल में कटते हरे भरे वृक्ष और गहरी नीद में सोता वन विभाग का अमला दिखाई दे रहा है।
पूरे जंगल में तो छोटे बड़े सभी तरह के वृक्ष है। जो जलाऊ लकड़ी के नाम पर बलि चढ़ रहे हैं। लेकिन यह जिम्मेदारों के लिए अपने आप को बचाने प्रयोग किया जाने वाला एक सीधा सा जवाब है। कि छोटी डाल या झाडिय़ां काटी गई, लेकिन बात यह की छोटे वृक्षों में कुछ बेहद कीमती है। देखा जाए तो हर एक वृक्ष कीमती है। क्योंकि जंगल सभी से बनते हैं। न की कीमतें पौंधो से छोटे पौधे ही बड़े वृक्षों का रूप लेते है। लेकिन यहां जलाऊ के नाम पर जंगलों में कटते छोटे बड़े सभी पेड़ बलि चढ़ रहे हैं। बता दें कि आसपास के जंगल माफियाओं द्वारा बेसकीमती पेड़ काटे जा रहे है। लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों को जरा भी इस बात की भनक नहीं है। जंगल में तैनात अमला भी सुरक्षित रखने में नाकामयाब हैं। तभी तो धड़ल्ले से बेखौफ होकर जंगल का सफाया कर रहे है। जंगल और वृक्षों के बचाव के लिए जहां शासन-प्रशासन तरह-तरह के उपाय कर लाखों रूपये खर्च कर रही है।
वहीं कार्यरत वन अमला अपनी उदासीनता के चलते नजदीकी इलाकों के जंगलों का सफाया नहीं रोक पा रहे है। जंगल के आसपास ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवार का जीवन जंगलों पर आधारित है। परिवार को चलाने के लिये अजीविका का साधन इससे बेहतर नहीं समझ में आता। शासन ने भले ही सौ दिनी रोजगार देने के लिये रोजगार गांरटी योजना चलाई है। लेकिन इस योजना से ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले मजदूरों का मोह भंग हो चुका है। इस योजना में उच्च अधिकारियों से लेकर सरपंच सचिव ही मालामाल हो पाये है। मजदूरों का हमेशा शोषण हुआ। इसलिए जंगलों से बेसकीमती लकड़ी काटकर मंहगे दामों में बेच कर अपनी जीविका का साधन सुलभ करने में जुट गये। जंगलों की अंधाधुधं कटाई का एक कारण और सामने आया है अभी वर्तमान में वन अमला अपनी कुंभकरणी नींद में हैं। क्षेत्र में तैनात अमला समय पर गस्ती नहीं कर रहे है। जिसके चलते अत्याधिक मात्रा में बड़े वृक्षों के साथ और भी बेसकीमती लकड़ीयों की कटाई बेखौफ होकर जारी है।
इनका कहना :-
मामले की मुझे जानकारी नहीं है, यह किस बीट क्रमांक का मामला है। मैं दिखवाता हूं।
प्रवेश वराडे, रेंज अधिकारी,
निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल