फीस के लिए 150 छात्रों को क्लास से निकाला: प्राइवेट स्कूल ने बाहर खड़ा कर दिया; हंगामा करने पर पुलिस बुला ली

मध्यप्रदेश के खंडवा में एक निजी स्कूल में फीस जमा नहीं करने पर डेढ़ सौ स्टूडेंट्स को बाहर निकाल दिया । सभी को डेढ़ घंटे तक खड़ा करा दिया। कुछ स्टूडेंट्स को एंट्री नहीं दी। इसकी सूचना पैरेंट्स को मिली तो वे स्कूल पहुंचकर हंगामा करने लगे। मौके पर पुलिस ने पैरेंट्स को अंदर करने की धमकी दी। सभी ने कैश काउंटर पर फीस भरी और स्लिप दिखाई तब जाकर बच्चों को प्रवेश दिया।
मामला खंडवा में द निमाड़ एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित अरविंद कुमार नितिन कुमार स्कूल का है। सुबह बच्चे स्कूल पहुंचे। क्लास में पहुंचे तो उन्हें बाहर कर दिया गया। यह बात अभिभावकों को पता चली तो वे स्कूल पहुंच गए। हंगामा शुरू हो गया। करीब 8.30 बजे के मौके पर पहुंची डायल-100 और थाना कोतवाली पुलिस ने अभिभावकों को धमकी दी कि बेमतलब बवाल करोगे तो अंदर कर देंगे। जबकि संक्रमण के बीच बच्चों को एक साथ एक ही स्थान पर एकजुट करने वाले स्कूल प्रबंधन के खिलाफ दोपहर तक क्राइसिस एक्ट में केस दर्ज नहीं किया। बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य से घबराएं अभिभावकों ने घर और रिश्तेदारों से को फोन कर रुपए बुलवाएं। कैश काउंटर पर फीस जमा करवाई। तब जाकर स्कूल प्रबंधन ने स्टूडेंट्स को एंट्री दी।
स्कूल बंद रहने पर भी फीस वसूली, खुले तो मनमानी
अभिभावकों ने बताया कि, यहां पढ़ने वाले सभी स्टूडेंट्स के अभिभावक मजदूर और गरीब परिवारों से है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती इसलिए यहां दाखिला करवाया। कोरोना काल में स्कूल बंद रहने पर भी उन्होंने स्कूल फीस की पाई-पाई चुकाई है। अब स्कूल खुले है और पढ़ाई भी ढंग से शुरू नहीं हुई कि मनमानी पर उतर आए। दो दिन अवकाश के बाद आज 11 बजे के बाद बैंक खुलते ही फीस भरने आ रहे थे, लेकिन सुबह से बच्चों को स्कूल से निकाल दिया।
बच्चों का अपमान नहीं कर सकते
कानून से जुड़े जानकारों के मुताबिक, स्कूली फीस वसूलना स्कूल प्रबंधन का अधिकार है, लेकिन बच्चों को अपमानित नहीं कर सकते। स्कूल फीस के लिए अभिभावकों को नोटिस दीजिए, कारण पूछिए और कार्रवाई कीजिए। बच्चों को क्लास से बाहर निकालना गलत है।