इंदौरग्वालियरजबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

प्राईम टाइम विद आशीष शुक्ला : ओमिक्रॉन अभी तक घातक नहीं, सतर्कता जरूरी : डॉ. शैलेन्द्र राजपूत

बडेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल के एमडी मेडिसिन सीनियर कन्सल्टेट से चर्चा , संक्रमण दर रहेगी ज्यादा,बच्चों और बुजुर्गो का रखें ध्यान

जबलपुर,यशभारत। कोरोना के नये वैरियंट ओमिक्रॉन से लोगों के बीच भय का माहौल है, लोग सावधानी बरत रहे है। लेकिन लोगों को अपने बच्चों और बुजुर्गो का विशेष ख्याल रखने की जरूरत ऐसे में वैक्सीनेशन के बाद लोगों के शरीर की इम्यूनिटी पॉवर बढ़ जाने से ओमिक्रॉन संक्रमण का असर ज्यादा देखने को नहीं मिल रहा है, लेकिन इसको हल्के में न लेकर सर्तक रहने की आवश्यकता है, सामान्य बुखार, सर्दी, खांसी होने के पश्चात तुरंत ही चिकित्सक के पास पहुंचे। यह बात मेट्रो अस्पताल के चिक्त्सिक डॉ शैलेन्द्र राजपूत ने यशभारत के लोकप्रिय कार्यक्रम प्राईम टाईम विद आशीष शुक्ला में कही,कोरोना के नये वैरियंट ओमिक्रॉन को लेकर आज हमने विशेष चर्चा की।

क्या है ओमिक्रॉन
डेल्टा ओमिक्रॉन एक तरह का कोरोना वायरस ही है। एक वायरस के विभिन्न प्रकार होते है। उसी तरह ओमिक्रॉन भी कोरोना का एक प्रकार है। ओमिक्रॉन वायरस में स्पाईक प्रोटीन की संख्या ज्यादा है। जिसकी वजह से वायरस कोशिकाओं तक जाता है। जैसे कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है वैसे ही ओमिक्रॉन वायरस ओर तीव्र गति से फैलता है।

डेल्टा ने ढाया कहर
हमने देखा है कि कोरोना वायरस एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है परंतु ओमिक्रॉन एक से प्रति चार व्यक्तियों में फैलता है। डेल्टा को फैलने में ज्यादा दिन भी लगते थे लेकिन ओमिक्र ॉन को फैलने या व्यक्ति इसके सम्पर्क में आने तक ज्यादा समय नहीं लगता एवं अगले ही दिन ओमिक्र ॉन शरीर पर प्रभाव डालना शुरू कर देता है।

नये वैरियंट से सर्तकता जरूरी
हमने देखा है कि अमेरिकन एवं यूरोपियन देशों में सबसे पहले वायरस वहां पहुंच जाता है लेकिन चूंकि वहां के लोग जागरूक होते है उनको पता है कि इससे पहले कि वह शरीर को नुकसान पहुंचाए ये लोग तुरंत इलाज के लिये चिकित्सक के पास पहुंच जाते है। वैसे ही हमें जागरूक बनना पड़ेगाअगर आपको लगता है कि आप खांसी या सर्दी से पीडि़त है तो आप तुरंत ही चिकित्सक के पास जायें नहीं तो हमें और भी बुरा मंजर देखना पड़ेगा।

वैक्सिनेशन के बाद भी संक्रमण क्यों
हमने देखा है कि अपने देश के अलावा अन्य देशों में भी वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण फैला है। भारत में भी दोनो डोज लगने के बावजूद इन्फेक् शन हो रहा है। बुखार, सर्दी, खांसी आने से इस ओमिक्रॉन संक्रमण का असर देखा जा रहा है। लेकिन उतना खतरनाक साबित नहीं हो रहा है। फिर भी लोगों को सतर्क रहने के साथ साथ जागरूक रहने की जरूरत है।

कितने दिनों तक रहता है असर
प्रशासन ने कोरोना गाईड लाईन को बदल दिया है अब 14 दिन की जगह 7 दिन का क्वारंटाईन कर दिया गया है। क्योंकि जल्दी ही यह संक्रमित करता है और जल्द ही ठीक भी हो जाता है। पूर्व अनुभवों के आधार पर यह कह सकते है कि ओमिक्रॉन वायरस मानव शरीर में लगभग 7 दिनों तक ही रहता है।

नयी दवा कितनी कारगर
सभी दवाईयां अपनी जगह अच्छी व कारगर साबित होती है परन्तु ओमिक्रॉन की नई दवा आने से यह नहीं कहा जा सकता कि यह कितनी कारगर साबित होगी। किसी के पास अभी सही जानकारी नहीं है कि, किसी दवाई पर सही दावा कर सके। हालांकि कम्पनियां अपना दावा करती नजर आती है, परन्तु जब हम ग्राउण्ड लेवल पर देखते है तो हमें दवा लेने के बाद भी सचेत रहने की जरूरत है।

इन बातों का रखें ध्यान
लोगों को सबसे पहले खुद पर ध्यान देना है। घर पर अगर कोई मरीज हो तो उस पर विशेष ध्यान दें। सर्दी, खांसी, बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखायें और दवा ले। ज्यादा भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। इसके साथ शासन की गाईडलाईन मास्क,सेनेटाईजर और दो गज की दूरी का पालन करें और अपने परिवार का ध्यान रखें।

बुजुर्गो और बच्चों के लिये सर्तक्ता जरूरी
डॉ राजपूत ने बताया कि बुजुर्गो को पहले भी कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा था, परन्तु आज लगभग 98 प्रतिशत वैक्सीनेशन पूर्ण हो चुका है जिस कारण लोगों की इम्यूनिटी पॉवर बढ चुकी है। वही अगर बच्चों की बात की जाये तो अब पन्द्रह से अठारह वर्ष तक की उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू हो चुका है। बावजूद इसके इनको संक्रमण से सर्तकता जरूरी है।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button