पुन: धारा 51 की तरफ बढ़ रहा एमयू: नियमविरुद्ध कार्य में प्रबंधन ने लांघी मर्यादा
जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) की कार्यपरिषद (ईसी) की मंगलवार की बैठक में अचानक से 180 मुद्दे सामने आए ये मुद्दे अपने आप में एमयू की वस्तुस्थिति को बयाँ कर रहे हैं। कार्यपरिषद की इस बैठक के साथ ही हाल हीं. में हुई बैठकों में टंकन त्रुटि की वजह से परीक्षा परिणामों में संशोधन की मुद्दे हों या फिर नियम विरुद्ध 2018-19 की संबद्धता का मामला, एमयू की इन बैठकों के मुद्दे अपने आप में एमयू प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो एक तरफ एमयू प्रबंधन एक के बाद एक बैठकों में स्वयं ही एजेंडे के माध्यम से कुप्रबंधन की दास्तां बयाँ कर रहा है।
दूसरी तरफ विभिन्न छात्र संघटन बैठकों इन एजेंडों के साथ राजभवन पहुँच कर एमयू प्रबंधन को घेरने की तैयारी में है। छात्र संगठनों के अनुसार पूर्व कार्यपरिषदों के एजेंडे ही अपने आप में एमयू को एक बार फिर विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 51 के दायरे में ढकेलने के लिए न सिर्फ पर्याप्त आधार है बल्कि मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ में विचाराधीन प्रकरण में अवमानना का भी आधार बन रहे हैं जिस पर न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के निदेज़्श भी दे दिए गए हैं।
180 मुद्र्दे के लिए चाहिए 15 घंटे
कार्यपरिषद की चंद घंटों की बैठक में अचानक नए कार्यपरिषद सदस्यों के सामने रखे गए 180 मुद्दे भी चर्चा का विषय बने हुए। बगैर स्पष्टीकरण और पर्याप्त आधार के नए कायज़्परिषद सदस्यों के सामने सीधे अस्पष्ट 180 मुद्दों का एजेंडा धर दिया गया यदि हर मुद्दे को सदस्य 5 मिनट भी दें तो सदस्यों को करीब 15 घंटों का समय लगता और एमयू प्रबंधन चाहता था कि महज सरसरी निगाह डालकर नए सदस्य मुद्दों पर हामी भर दें। सूत्रों की मानें तो नए कार्यपरिषद सदस्यों को भी सोमवार शाम को ही इस एजेंडे से अवगत कराया गया था।