पानी संकट शादी में बना कंटक : मेहमानों के प्यासे रहेंगे कंठ
मंडला में भीषण जल संकट : पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे पिपरटोला के वंशिदे, युवाओं के नहीं हो रहे विवाह

मंडला lगर्मी की तपीश बढऩे के साथ ही पानी की समस्या भी बढऩे लगी है, लेकिन कुछ जगह पर जल संकट इतना गहरा गया है कि लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुंए, हैंडपंप हवा उगल रहे है, इनसे पानी नहीं निकल रहा है। अन्य जल स्त्रोतों का भी जल स्तर कम होने की कगार पर है। लोग अपने रोजमर्रा के काम छोड़कर अपनी प्यास बुझाने के लिए जतन कर रहे हैं। गर्मी अपने तीखे तेवर तो दिखा ही रही है, लेकिन जब गर्मी अपने पूरे शबाव पर होगी तब हालत और बदतर होने की संभावना जताई जा रही है। बिछिया विकासखंड के ग्राम पिपरटोला में इस समय पानी की समस्या है। यहां के कुंए, तालाब, हैंडपंप सूख चुके है। लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर है। पिपरटोला के वंशिदे जिस जल स्त्रोत के पास से पेयजल लेकर आते है, उसी स्त्रोत का मवेशी उपयोग करते है। जिससे यह पानी दूषित हो जाता है। वहीं ग्रामीणों को पथरीले और कच्चे रास्ते से होकर पानी लेने जाना पड़ रहा है। इस दौरान ग्रामीण पथरीले मार्ग में चोटिल भी हो जाते है। जानकारी अनुसार आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के एक छोटे से गांव पिपरटोला में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गया है। करीब एक हजार की आबादी वाले ग्राम के वंशिदों का दैनिक जीवन नारकीय बना गया है। भीषण गर्मी के दस्तक देते ही गांव में पानी की किल्लत बढ़ गई है, जिससे यहां के रहवासियों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। गांव में पानी का कोई स्थायी स्रोत नहीं है, जिसके चलते यहां के लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए हर रोज जान जोखिम में डालकर पास की नदी तक करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। विवश ग्रामीण हालोन नदी के किनारें एकत्र रेत में गड्डा और झिरिया बनाकर उससे पीने के पानी का इंतजाम कर रहे है। चिलचिलाती धूप में पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी पानी की तलाश में दिनभर भटकते रहते हैं। यह कमरतोड़ मेहनत उनकी दैनिक दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गई है, और प्यास बुझाने की इस जद्दोजहद में यही उनके पास एकमात्र विकल्प बचा है।
दूसरे गांव के लोग पिपरटोला में नहीं कर रहे विवाह
बताया गया कि जल संकट न केवल पिपरटोला के ग्रामीणों के जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन गया है, बल्कि इसने गांव के सामाजिक ताने-बाने को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। पानी की कमी के कारण यहां रोजमर्रा की जिंदगी दूभर हो गई है, और इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि इस गांव के युवकों के विवाह पर भी गहरा असर डाला है। गांव के आधे से ज्यादा युवा आज भी कुंवारे हैं, क्योंकि दूसरे गांवों के लोग अपनी बेटियों की शादी ऐसे गांव में करने से कतराते हैं, जहां पीने जैसे बुनियादी जरूरत की चीज भी नसीब नहीं होती।
संक्रमण का खतरा
पिपरटोला के लोगों ने बताया कि कई बार उन्हें पीने के पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और यहां स्थित नदी का पानी भी दूषित है। इस नदी में आकर गांव के मवेशी अपनी प्यास बुझाते है। जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। बुजुर्ग और छोटे बच्चे इस जल संकट से सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिनके लिए दूर तक चलकर पानी लाना और भी मुश्किल हो जाता है। वहीं स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत काम तेजी से चल रहा है। अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही गांव में पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो जाएगा और हर घर तक नल से पानी पहुंचाया जाएगा।
हिरन नदी सूखी, जल संकट गहराया: सिहोरा, मझोली, में सब्जियों और फलों की आवक घटी, गांवों में पीने के पानी की भारी किल्लत
सिहोरा lहिरन नदी के सूखते घाटों और आगामी दो महीनों के लिए नहर से पानी की आपूर्ति ठप रहने की आशंका ने सिहोरा, मझोली क्षेत्र में गंभीर संकट पैदा कर दिया है। नदी में पानी न होने से पहले ही स्थानीय बाजारों में सब्जियों और ग्रीष्मकालीन फलों की आवक में भारी कमी आई है, वहीं अब नहर बंदी से पीने के पानी की किल्लत और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
सूखे घाटों का फसलों पर असर
हिरन नदी के सिहोरा, मझोली और पनागर स्थित घाटों के सूख जाने के कारण नदी के किनारे की उपजाऊ भूमि पर सिंचाई नहीं हो पा रही है। इसके चलते इस क्षेत्र में तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरा जैसी रसीली फलों और हरी सब्जियों की पैदावार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सिहोरा के सब्जी मंडी के व्यापारीयों ने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार मंडी में सब्जियों और फलों की आवक बहुत कम है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं।
’नहर बंद से गहराएगा जल संकट
इस बीच, नर्मदा विकास संभाग क्रमांक-4, बरगी हिल्स, जबलपुर द्वारा जारी एक विज्ञप्ति ने क्षेत्र की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। विज्ञप्ति के अनुसार, अपर नर्मदा जोन परियोजना जबलपुर की दायीं तट मुख्य नहर में सुधार कार्य किया जाना है। इस कारण दायीं तट मुख्य नहर को 25 मार्चसे 30 जून 2025 तक पूर्ण रूप से बंद करने का निर्णय लिया गया है।इस नहर से पानी प्राप्त करने वाली हिरन नदी में अगले दो महीनों तक पानी की आपूर्ति पूरी तरह से ठप रहेगी। इससे नदी के किनारे बसे गांवों में पीने के पानी की भारी किल्लत होने की संभावना है।
सिंचाई और दैनिक जीवन पर पड़ेगा बुरा असर
सिंचाई के लिए हिरन नदी पर निर्भर किसानों के लिए यह खबर किसी बुरे सपने से कम नहीं है। खड़ी फसलें सूखने के कगार पर हैं, जिससे किसानों की आजीविका पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सिर्फ कृषि ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित होगा। नदी के पानी का उपयोग पीने और घरेलू कार्यों के लिए करने वाले लोगों को दूर-दराज से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जल स्तर में गिरावट के कारण नदी में रहने वाले जलीय जीवों पर भी संकट आ गया है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो सकता है।