नगर निगम में दो फाड़ हुआ सत्तापक्ष, मेयर और आयुक्त की गैरहाजिरी में हुई नगर निगम परिषद की बैठक, आक्रामक दिख रहा विपक्ष
घंटाघर मार्ग के मुआवजे और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानों की नीलामी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा
- कटनी। नगर निगम में गुटीय राजनीति किस कदर हावी हो चुकी है, इसका उदाहरण आज आहूत की गई नगर निगम परिषद की बैठक से मिल जाता है। महापौर और आयुक्त दोनों ने कई दिन पहले अवगत करा दिया था कि वे 6 दिसंबर को मौजूद नहीं रह पाएंगे, बावजूद इसके बैठक आयोजित कर ली गई। परिषद के इस सम्मेलन को लेकर एक सप्ताह से ऊहापोह की स्थिति का अंत तो आज सदन में पार्षदों की मौजूदगी से हो गया, किंतु सवाल यही है कि जब प्रमुख लोग ही बैठक में हाजिर नहीं हो सके, तब इसमें लिए जाने वाले निर्णयों के पालन को लेकर नगर निगम प्रशासन आने वाले समय में कितनी गंभीरता बरत पाएगा। बैठक के लिए तीन बिंदुओं का एजेंडा पहले से फिक्स था, लेकिन पार्षदों ने इससे हटकर भी सदन में बातचीत शुरू कर दी थी। दोपहर 1 बजे इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कुछ पार्षदों ने इस पर भी सवाल कर दिए कि जब मेयर और आयुक्त शहर से बाहर है, तभी बैठक क्यों बुलाई गई। जहां 5 माह की देरी हुई, वहां क्या दो चार दिन और बैठक टाली नहीं जा सकती थी क्या।
इन बिंदुओं पर हो रही चर्चा
बैठक की शुरुआत में ही वरिष्ठ पार्षद मिथलेश जैन आक्रामक नजर आए। उन्होंने सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अनेक मामले एमआईसी से पास करा लिए जाते हैं और अधिकारी खुद एमआईसी सदस्यों को गुमराह करते हैं। बजट पेश होने के सात माह बाद भी फाइलों में बजट रिपोर्ट नहीं लग सकी। तीन सूत्रीय एजेंडे में इस बार सबसे प्रमुख विषय चांडक चौक से घंटाघर मार्ग में आ रहे भूखंड स्वामियों को मुआवजे को लेकर है। नगर निगम के सर्वे दल ने भूमि और निर्माण का करीब 2 करोड़ 26 हजार मुआवजे का आंकलन किया है। इसके अलावा सड़क निर्माण में आने वाले अन्य व्यय के रूप में 50 लाख की स्वीकृति अलग से मांगी। इसमें पार्षदों को अपनी राय रखते हुए निर्णय लेना था। कुछ भू स्वामियों द्वारा आपत्ति लगाए जाने का जिक्र भी बैठक में हुआ, जिस पर पार्षदों का कहना था कि किसी के भी साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए। बैठक में जैव विविधता प्रबंधन समिति के गठन के साथ योजना क्रमांक 6 में नगर सुधार न्यास के अंतर्गत कलेक्ट्रेट के सामने नवनिर्मित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की दुकानों की नीलामी का मुद्दा भी शामिल रहा। सदन में कुछ पार्षदों ने विषय से हटकर भी बोलना शुरू कर दिया। अवैध निर्माण, बिना अनुमति निर्माण, विभिन्न विभागों में सामग्री खरीदी और सीवर लाइन को लेकर आरोप प्रत्यारोप के बीच हो हल्ला भी हुआ। मेयर प्रीति सूरी की गैरमौजूदगी में एमआईसी सदस्यों ने जवाब दिया, लेकिन पार्षद अपनी बातों में अड़े रहे। सदन की बैठक में आउटसोर्स कर्मचारियों का मामला भी उठा। कर्मचारियों के सत्यापन के बाद जिन वास्तविक कर्मचारियों को काम पर वापस लिया गया था, उनका अक्टूबर और नवंबर का वेतन भी नहीं मिला। इसको लेकर भी कर्मचारी आक्रोश में है। पार्षदों ने इस मुद्दे के अलावा यह बात भी उठाई कि जिन्हें हटा दिया गया है उनके सामने संकट उत्पन्न हो गया है, जबकि कई विभागों का काम भी प्रभावित है।
विपक्ष लगातार कर रहा घेराबंदी
नगर निगम में सत्तापक्ष के सामने ही अजब हालात पैदा हो चुके है, इसका प्रमाण आज की बैठक रही। मेयर की गैरमौजूदगी पर यदि भाजपा के पार्षद दो भागों में बंटे नहीं होते तो सदन की बैठक शायद ही आयोजित हो पाती। महापौर प्रीति सूरी ने जिम्मेदारों को पत्र के जरिए पहले ही सूचित कर दिया था कि वे 6 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं रहेंगी, इसके बाद भी भाजपा पार्षद दल में एका नहीं नजर आया। कुछ पार्षद मेयर की गैरमौजूदगी के बावजूद बैठक बुलाने का दबाव बनाते रहे। इन्हें किसकी शह है, यह जगजाहिर है। विपक्ष इस पर चुटकी ले रहा है। नेता प्रतिपक्ष रागिनी गुप्ता का कहना था कि सत्ता पक्ष में तालमेल नहीं है। विकास कार्यों में भी ये लोग अलग अलग राय रखते हैं और जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रहे है। वरिष्ठ पार्षद मिथलेश जैन कहते हैं कि बैठक की तारीख तय करने का अधिकार नगर निगम अध्यक्ष का होता है। मेयर और आयुक्त सदन से बड़े नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि 5 माह से परिषद की बैठक नहीं हो रही थी, शहर के विकास से जुड़े अनेक मुद्दों पर निर्णय लिए जाने थे, आखिर कब तक मामलों को टाला जाए। जाहिर है विपक्ष अपने हिसाब से अपनी रणनीति बनाएगा, किंतु शहर में इससे सीधा संदेश यही जा रहा है कि नगर निगम के भीतर भाजपा के मेयर और अध्यक्ष अलग अलग राहों में चल पड़े है। ताज्जुब इस बात पर है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी नगर सरकार में बन चुके इन हालातों के मूकदर्शक बनकर बैठे हैं।