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दूर-दूर से आये श्रृद्धालुओं ने नर्मदा में लगाई आस्था की डुबकी :   पर्व में में दूर-दूर से आए लोग, मेला स्थल में सजी दुकानें, आज भी संगम में पहुंचेगे श्रृद्धालु

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मंडला lहमारे देश में मकर संक्रांति को सूर्य उपासना के विशेष पर्व के रूप में जाना जाता है। इसे पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस बहु-समाजवादी देश में यह महापर्व एक ही मान्यता को अपने अंदर समेटे विभिन्न रीति-रिवाजों व परंपराओं के साथ मनाया जाता है। जिले में मकर संक्राति पर्व धूमधाम से मनाया गया। सूर्य के मकर राशि में आने वाले इस दिन सूर्य को अद्र्ध देकर विशेष पूजा की गई। मकर संक्राति से शुभ काम शुरू हो जाते है। इस उपलक्ष्य में लोग धार्मिक महत्व के सरोवर व कुंडों और नर्मदा में स्नान कर पुण्यलाभ अर्जित किए।

 

वही लोगों ने तिल से स्नान कर तिल दान भी किया। संक्राति का पुण्यकाल 14 जनवरी की सुबह 9 बजे से शुरू हुआ। मकर संक्रांति पर्व पर श्रृद्धालु जिले में स्थित नर्मदा घाटों, संगम घाट समेत अन्य नर्मदा घाटों में स्नान करने करने पहुंचे। अल सुबह से ही माहिष्मती घाट, संगम घाट, नर्मदा बंजर के संगम पर भक्तगणों का ताँता लग गया। श्रृद्धालुओं ने नर्मदा में स्नान कर दाल-चांवल की खिचड़ी, तिल और गुड़ के लड्डू बाँटकर भगवान सूर्यनारायण से मोक्ष प्राप्ति की कामना की। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पूजन पाठ और अन्य धार्मिक कार्यक्रम किए। हर वर्ष की तरह नर्मदा नगरी में संक्राति पर्व पर लोगों का हुजूम कम दिखा। संक्राति पर्व में स्नान के लिए लोग दूर दूर से यहां आए। यहां श्रृद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुख्ता इंतजाम किए गए। जिससे कि श्रृद्धालुओं को कोई परेशानी न हो सके। मेला स्थल में संक्राति पर्व में दुकानें सजी रही।

इन घाटों में भक्तों ने लगाई डुबकी 

मकर संक्राति पर्व में नगर के माहिष्मती घाट, संगम घाट, हनुमान घाट, रंगरेज घाट, धर्मशाला घाट, नाव घाट, सहस्त्रधारा, पीपल घाट, नाव घाट, बाबा घाट सहित नगर के अन्य घाटों में बड़ी संख्या में श्रृद्धालु स्नान के लिए पहुंचे। संगम घाट में नगर के अलावा छत्तीसगढ़ व अन्य जिले बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, जबलपुर, नागपुर, आदि जगहों से श्रृद्धालुओं की भीड़ रही।

सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश 

सूर्य उपासना का महापर्व मकर संक्राति 14 जनवरी को मनाया गया। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार का संक्राति पर्व श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी है। मकर संक्राति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त भीष्मपितामह ने अपनी देह का त्याग किया था। ज्ञातव्य है कि महाभारत युद्ध के दौरान अपने ही शिष्य अर्जुन के तरकस से निकले बाणों से भीष्म पितामह उस समय तक शेष शैया में रहे जब तक कि सूर्य उत्तरायण में नहीं आ गए थे।

सुरक्षा के लिए पुलिस रही तैनात 

शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। जहां नगर सहित आसपास के क्षेत्रो में भी पुलिस जवान तैनात रहे। जिसके चलते रपटा घाट, संगम घाट, सहस्त्रधारा व अन्य घाटों में पुलिस द्वारा सुरक्षा के इंतजाम रहे। सहस्त्रधारा पर्यटन स्थल का अब रूप बदल चुका है। पर्यटन विकास विभाग द्वारा कराए गए कार्यो के कारण सहस्त्रधारा में पर्यटकों की दृष्टि से सुख सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इसलिए यहां पर्यटन गतिविधियों में इजाफा हुआ है। जिस कारण इस बार संक्राति में श्रृद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई। जिसको देखते हुए यहां सुरक्षा के इंतजाम किए गए और पुलिस जवान तैनात रहे।

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