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जबलपुर सांसद की 807 क्विंटल धान का हुआ गोलमाल, गुरुजी लॉजिस्टिक- कटंगी समिति धान घोटाला मामला

5 माह बाद भी नहीं हुआ 18 लाख 58 हजार का भुगतान, 272 किसानों का अटका है 517 करोड़ का भुगतान, सांसद आशीष दुबे और भतीजे अर्पित दुबे ने कटंगी समिति में बेची थी अपनी धान

जबलपुर, यश भारत। जिले में उपार्जन को लेकर जो अनियमिताएं हैं वह किसी से छुपी नहीं, लेकिन सामान्य किसान तो बहुत दूर की बात है अब तो सांसद जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे लोगों के साथ में खिलवाड़ हो रहा है। मामला कटंगी समिति का है जिसका केंद्र गुरुजी लॉजिस्टिक्स में खोला गया था । जिसके पास में ही संसद आशीष दुबे और उनके परिवार की पैतृक खेती है। जिसके चलते उन्होंने अपनी धान की 807 क्विंटल उपज समर्थन मूल्य पर यहा बेची हुई थी। लेकिन जाल साजों द्वारा उनकी धान किसी और फर्जी खाते में चढ़ा दी गई। जिसके चलते पिछले 5 महीने से उनका भुगतान अटका हुआ है। यह वही गुरुजी लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस है जिसमें तीन दिन पहले गोदाम के बाहर रखी हुई धान में आग लगने की घटना सामने आई थी।

जानकारी के मुताबिक सांसद और उनके परिवार की धान 13 जनवरी को गुरु जी लॉजिस्टिक्स वेयरहाउस में तोली गई थी। इसके बाद उन्हें समिति द्वारा तुलाई का पत्रक प्रदान किया गया लेकिन बाद में उक्त धान की रिसीविंग तैयार नहीं कराई गई जिसके चलते उन्हें भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है, याने मैदान में तो धान तोल दी गई लेकिन जब गोदाम के अंदर धान जमा कराई गई तो वह किसी औरके नाम से जमा कर दी गई। इस समिति में ऐसा इकलौता मामला नहीं है कई किसानों की हजारों क्विंटल धान के साथ इसी तरह का खिलवाड़ किया गया है। जिसके बाद उक्त समिति के ऊपर फरवरी माह में मामला भी दर्ज किया गया था लेकिन किसान अभी परेशान है।

बढ़ाई गई थी लिमिट

विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कटंगी समिति में उपार्जन के द्वारा प्रतिदिन तोल करने की लिमिट बहुत कम निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में जब संसद आशीष दुबे की धान उक्त केंद्र पर तुलाई के लिए भेजी गई थी तो केंद्र की लिमिट बढ़ाई गई थी। जिससे उनकी जल्दी तोल हो सके। उक्त केंद्र में सांसद आशीष दुबे के नाम से एक रजिस्ट्रेशन में 132 क्विंटल और उन्हीं के नाम के दूसरे रजिस्ट्रेशन में 40 क्विंटल धान की तुलाई हुई है, वही भतीजे अर्पित दुबे के नाम से 629 क्विंटल धान की तुलाई हुई है, जिसका कुल मूल्य 1857000 है।

बाद वालों का हो गया भुगतान

सांसद आशीष दुबे और उनके परिवार की धान की जो समिति में एंट्री सामने आ रही है वह 13 जनवरी की है जबकि उसके बाद जिन लोगों की धान तोली गई उनके भुगतान समिति के द्वारा करवा दिए गए। यश भारत को मिली जानकारी के अनुसार समिति द्वारा जो 23 जनवरी का चालान भेजे गए थे उनके भुगतान हो गए हैं और उसके पहले के चालान की स्वीकृति समिति द्वारा नहीं की गई थी ।

 

272 किसानों का अटका है भुगतान

 

वर्ष 2024- 25 के दौरान जो धान की खरीदी की गई थी उसमें 272 किसानों का करोड़ों रुपए का भुगतान लंबित है। इसमें ऐसे किसान है जिन्होंने अपनी धान केंद्र पर ले जाकर बेची हुई थी और उन्हें उसकी रिसीविंग भी प्राप्त है, लेकिन उस धान को वेयरहाउस में किसी और नाम से जमा करके फर्जीवाड़ा किया गया है, जिसको लेकर जिले में पांच उपार्जन केंद्रों के प्रभारी के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए हैं, लेकिन 272 से अधिक किसान अभी भी अपने भुगतान के लिए परेशान है। जिसमें सांसद आशीष दुबे और उनके परिवार के लोगों के भी नाम शामिल है।ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक सांसद का भुगतान प्रशासन द्वारा नहीं करवाया जा रहा है तो फिर छोटे-मोटे किसान की क्या विसात है।

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