
जिन लोगों ने कोवीशील्ड के पहले और दूसरे डोज के बीच 12 हफ्तों का अंतर रखा था, उनमें बेहतर इम्यून सिस्टम तैयार हुआ है। सीरो सर्वे के मुताबिक इससे इन लोगों को तुरंत किसी भी बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक्सपर्ट्स ने देश में दो डोज के बीच के अंतर को कम करने की किसी भी संभावना से इनकार किया है। अभी कोवीशील्ड के पहले और दूसरे डोज के बीच में 12 से 16 सप्ताह का अंतर रहता है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि रिपोर्ट को विचार के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा जाएगा। सूत्र ने कहा है कि हम नियमित आधार पर डेटा की समीक्षा कर रहे हैं और हमने बड़े पैमाने पर उपलब्ध टीकाकरण के डेटा का भी अध्ययन किया है। कोई भी निर्णय वैज्ञानिक तथ्यों को देखकर ही लिया जाएगा।
अंतर नहीं होगा कम
सूत्र के अनुसार कोवीशील्ड के दोनों डोज के अंतर को कम नहीं किया जाएगा, क्योंकि डेटा से पता चलता है कि कोवीशील्ड की दो खुराक के बीच 3 महीने के अंतराल से इम्यून सिस्टम में बेहतर सुधार हुआ है।
112 करोड़ डोज दिए जा चुके
देश में कोविड वैक्सीन की कुल 112 करोड़ से अधिक खुराक लगाई जा चुकी हैं। जिनमें से 88% कोवीशील्ड है। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। वहीं स्थानीय स्तर पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसे तैयार कर रहा है।
39% को लगे दोनों डोज
79% से अधिक आबादी को कम से कम कोविड वैक्सीन का एक डोज लगाया जा चुका है। वहीं लगभग 39% को दोनों डोज लग चुके हैं। डेटा के अनुसार 12 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें दूसरे डोज लगने को समय हो गया है, लेकिन उन्होंने अब तक नहीं लगवाया है।
हो चुका है बदलाव
केंद्र सरकार कोवीशील्ड के दोनों डोज के बीच के अंतर को दो बार बदल चुकी है। पहले 22 मार्च को दो डोज के अंतर को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया। फिर 13 मई को अंतर बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया। कोवैक्सिन के डोज के अंतर में कोई बदलाव नहीं किया गया।