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ईओडब्ल्यू की बड़ी कार्रवाईः जल संसाधन का तत्कालीन प्रमुख अभियंता निकला भ्रष्टाचारी, सिंचाई सुविधा तो बढ़ी घर का खाली खजाना जरूर भर गया

जबलपुर, यशभात। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जल संशाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीकर व अन्य अधिकारियों के विरूद्ध प्रदेश की सिंचाई योजनाओं में नियम विरुद्ध तरीके से करोड़ों रुपये के भुगतान कर शासन को हानि पहुँचाने के आरोप पर शासन से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर जांच की गई , जिसमें प्रथम दृष्टया अपराध प्रमाणित पाये जाने से संबंधित जल संशाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता व अन्य वरिष्ठ अभियंता के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है । आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल को शासन द्वारा सूचित किया गया था कि , प्रदेश मे निर्माणाधीन 07 सिंचाई परियोजनाओं में निजी कंपनियों को वर्ष 2018 -2019 में नियम विरुद्ध तरीके से कार्य के पूर्व ही भुगतान कर दिया गया है । इस सूचना पर ई.ओ. डब्ल्यू भोपाल द्वारा प्राथमिक जाँच की गई । इस जाँच में जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता , मुख्य अभियंता व अधीक्षण यंत्री की संलिप्तता पाई गई जिस पर ई.ओ.डब्ल्यू द्वारा आज धारा 120 बी , 420 भा.द.वि एवं धारा 7 ( सी ) भ्रष्टाचार निवारण ( संशोधन ) अधिनियम 2018 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया । म.प्र . में सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिये जिला सागर , बैतूल , दमोह , सिंगरौली में नहर प्रणाली विकसित करने के लिये महात्वाकांक्षी परियोजनाऐं स्वीकृत की गई थीं जो निर्माणाधीन हैं ।

म.प्र . में सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिये जिला सागर बैतूल , दमोह , सिंगरौली में नहर प्रणाली विकसित करने के लिये महात्वाकांक्षी परियोजनाएँ स्वीकृत की गई थीं जो निर्माणाधीन हैं । इन परियोजनाओं में नियमानुसार बाँध बनाने के उपरांत नहर प्रणाली विकसित करने के लिये सामग्री क्रय करना था परन्तु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से कंपनियों ने नहर प्रणाली में लगने वाली पाईप आदि सामग्री बाँध निर्माण के पूर्व ही क्रय कर ली तथा भुगतान प्राप्त कर लिया । उक्त सामग्री की कीमत करोड़ों रुपये में है । इस नहर प्रणाली से सागर , दुमोह , सिंगरौली जैसे अल्पवृष्टि वाले क्षेत्रों में किसानों को नहर के माध्यम से सिंचाई की सुविधा पहुँचाने का शासन का ध्येय है । ई.ओ.डब्ल्यू द्वारा इस प्रकरण की प्रारंभिक जाँच के दौरान जल संसाधन विभाग के महत्वपूर्ण दस्तावेजों को एकत्र कर विश्लेषण किया गया।

शासकीय अधिकारियों से पूछताछ की गई । जाँच में उक्त अधिकारियों द्वार भुगतान से संबंधित स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकी व भ्रष्टाचार के आरोप प्रथमत प्रकट होने से प्रकरण पंजीबद्ध करने का निर्णय लिया गया । ई . ओ . डब्ल्यू द्वारा जाँच से संबंधित निष्कर्ष से शासन को अवगत कराया गया तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में हुये संशोधन के अनसार प्रकरण पंजीबद्ध करने हेतु धारा 17 – ए भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम के अंतर्गत शासन से अनुमति प्राप्त करने के लिये दिनांक 09.03.2022 को विस्तृत प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग को प्रेषित किया गया । शासन के स्तर पर ई.ओ.डब्ल्यू द्वारा एकत्र किये गये साक्ष्यों की विस्तृत समीक्षा की गई तथा घटनाक्रम के संबंध में दिनांक 30,03,2022 को प्रकरण पंजीबद्ध करने की विधिवत अनुमति प्रदान की गई जिसके आधार पर यह प्रकरण पंजीबद्ध किया गया । शासन द्वारा प्रकरण में किये गये भ्रष्टचार की गंभीरता तथा लोकहित को ध्यान में रखते हुये अल्प समय में अनुमति प्रदान की गई , जिससे संबंधित आरोपियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही की जा सके । ज्ञातव्य हो कि मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन के उपरांत यह पहला प्रकरण है , जिसमें प्रकरण पंजीबद्ध करने के पूर्व धारा 17 – ए की अनुमति शासन द्वारा प्रदान की गई हो । यह घटना क्रम हनोता बाँध एवं पाईप नहर प्रणाली निर्माण , जिला सागर . बण्डा बाँध एवं पाईप नहर प्रणाली निर्माण , जिला सागर गौंड बाँध एवं पाईप नहर प्रणाली निर्माण , जिला सिंगरौली , निरगुढ़ बांध एवं पाईप नहर प्रणाली निर्माण में हुई थी।

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