आधुनिकता में जबलपुर के हालात आगे पाठ, पीछे सपाट जैसेः 54 डाकघरांे में 8 लाख 79 हजार 613 खाताधारक उनके लिए सिर्फ एक एटीएम

जबलपुर, यशभारत। इंफार्मेशन टेक्नोलाॅजी के जमाने में डाकघरों घरों में आज भी पुरानी पद्धति से कार्य किया जा रहा है । पिछले कुछ सालों में डाकघरों में पैसा जमा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है । मुख्य डाकघर सहित शहर के सभी 54 डाकघरों में 8 लाख 79 हजार 613 खाताधारक हैं । इन्होंने करोड़ों रुपये जमा किये हैं । लेकिन पैसा निकालने के लिये इनके पास मात्र एक एटीएम है जो मुख्य डाकघर के पास है । खाताधारों को आॅनलाइन पैसा ट्रांजेक्शन की भी सुविधा नहीं दी गई है । ग्राहकों को पैसा जमा करने और निकालने के लिये डाकघर ही जाना पड़ रहा है । उपभोक्ताओं का कहना है कि जब डाकघर बैंक जैसे पैसा जमा करा रहा है तो बैंक जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराना चाहिये ।
बढ़ते जा रहे खाताधारक
डाकघर के अधिकारी दावा करते हैं कि शहर के सभी डाकघरों में 8.79 लाख खाताधारक हैं । ऐसा माना जा रहा है कि इतने खाताधारक शहर के सभी बैंकों में भी नहीं होंगे । डाकघर में खाता खुलवाने वालों की संख्या इसलिये बढ़ रही है क्योंकि यहां बैंक से ज्यादा ब्याज दिया जा रहा है । बैंक एक साल की एफडी में 5.5 फीसदी ब्याज देती है । वहीं डाकघर एक साल की एफडी में 7 प्रतिशत ब्याज दे रही है ।
फिर क्यों नहीं दे रहे एटीएम सुविधा
सवाल यह उठता है कि इतने अधिक खाताधारक होने के बाद भी डाकघर के जिम्मेदार अपने सभी ग्राहकों एटीएम जैसी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहे हैं । डाकघर जाओ तभी निकलता है पैसा । मुख्य डाकघर को छोड़कर सभी डाकघरों के खाताधारकों को पैसा निकालने और जमा करने के लिये आज भी डाकघर जाना पड़ रहा है । वे बैंक की तरह अपना पैसा आॅन लाइन कहीं भी ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं । इसके अलावा यूपीआई से भी कहीं भी पैसा ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं ।
प्रत्येक कार्य के लिए डाकघर जाना पड़ रहा है
आज भी डाकघर के खाताधारकों को हर कार्य के लिये डाकघर ही जाना पड़ रहा है । छोटे डाकघरों में तो आज भी पैसे के लेने देन की एंट्री रजिस्टर में की जा रही है । पेंशन के लिये लंबी कतार मुख्य पोस्ट आॅफिस सहित शहर के अन्य पोस्ट आॅफिस में बड़ी संख्या में पेंशनर हैं । इनके पास भी कोई एटीएम नहीं है । इन्हें पेंशन के लिये डाकघरों में लंबी कतार लगानी पड़ रही है । बुजुर्गों को पेंशन के लिये घंटों डाकघर के पास खड़े रहना पड़ता है । कई डाकघरों के अधिकारी पोस्ट बैंक सेवा के माध्यम क्षेत्र में ही जाकर पेंशन भुगतान करते थे लेकिन अब वे भी नहीं जाते हैं । पेंशनरों को डाकघर ही जाना पड़ रहा है ।