जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य
अधारताल संभाग सक्रिय बाकी संभाग सुस्त अवैध कब्जे व माफिया दमन को लेकर जिले के एक संभाग में हो रही सबसे ज्यादा कार्यवाही
ग्रामीण क्षेत्रों की तहसीलों में खानापूर्ति, यहां सबसे ज्यादा है सरकारी जमीनों पर कब्जे
जबलपुर यश भारत। विगत 2 वर्षों से प्रदेश सरकार द्वारा माफिया के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है। जहां सरकारी अमला माफिया की संपत्ति को तहस-नहस करने के लिए सीधे बुलडोजर लेकर पहुंच जाता है। साथ ही भू माफियाओं द्वारा जिन सरकारी जमीनों को कब जाया गया है उन्हें भी मुक्त कराने का अभियान चलाया गया है। विगत 2 वर्षों में जबलपुर जिले के अनेक स्थानों पर कार्यवाही की गई है ।लेकिन समय के साथ-साथ यह कार्यवाही भी धीमी होती जा रही है । वर्तमान समय में अधारताल संभाग को छोड़ दे तो जिले में 1- 2 बड़ी कार्यवाही हो रही है। बाकी सभी बड़ी कार्यवाही अधारताल संभाग तक सीमित है । जिससे यह प्रश्न उठता है कि बाकी जगह पर सरकारी जमीनों पर कब्जे नहीं है या फिर वहां बैठे अधिकारी इस काम में दिलचस्पी नहीं ले रह।
करोड़ों की जमीन मुक्त
विगत दिनों अधारताल संभाग अंतर्गत आने वाले करमेता में करोड़ों की सरकारी संपत्ति को मुक्त कराया गया इसके पहले पिपरिया गांव में 25 एकड़ शासकीय भूमि को भी वीरेंद्र पटेल नामक व्यक्ति से छुड़वाया गया। उसके साथ ही रमजान मार्बल और हामिद हसन पर बड़ी कार्यवाही हुई जोकि सरकारी संपत्ति को मुक्त कराने के साथ-साथ आम लोगों के मन में विश्वास पैदा करने वाली थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जिले के दूसरे संभागों में इतने बड़े स्तर पर कार्यवाही हैं क्यों नहीं हो रही है। जानकारी के मुताबिक ऐसे आधा दर्जन नाम और हैं जिन पर अधारताल क्षेत्र में आने वाले कुछ ही दिनों में बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जिसमें भू माफिया के अलावा अपराधिक लोग हैं जिनको लेकर कागजी कार्यवाही पूर्ण की जा रही है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में शांति
प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान का असर ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम दिखाई दे रहा है। जबकि भू राजस्व के रिकॉर्ड को ही मानें तो यहां सबसे ज्यादा सरकारी सीलिंग और नजूल की जमीन है। इसके अलावा गौठान, पानी, शमशान, चरनोइ मद की सैकड़ों एकड़ जमीन पर लोगों द्वारा कब्जा करके रखा गया है। लेकिन ग्रामीण तहसीलों में बैठे अधिकारी इन पर हाथ डालने से बच रहे हैं । जिसको लेकर प्रयास तेज किए जाने की आवश्यकता है। जानकारी के मुताबिक कई ऐसे तालाब हैं जो रिकॉर्ड पर तो पानी की मद में दर्ज है। लेकिन वहां दबंगों द्वारा खेती की जा रही है जिसको लेकर कहीं कोई बड़ी कार्यवाही नजर नहीं आई।