जबलपुरमध्य प्रदेश

यश भारत एक्सक्लूसिव:*  श्री राम के मंदिर में पुजारी सुगंधित धान की खीर का लगाते थे भोग: कृषि विश्वविद्यालय ने लिया जी आई टैग

रीवा के सुगंधित आम की अनोखी किस्म को भी मिला जी आई टैग

– कृषि वैज्ञानिकों की रिसर्च रंग लाई गांव गांव जाकर हजारों वर्ष पुराने बीजों की हुई पहचान, शुद्धता और खूबियां से है भरपूर है धान और आम कि यह फसल

अनुराग तिवारी

जबलपुर यश भारतl बालाघाट का रामपायली में स्थित श्री राम मंदिर में लगने वाले खीर की सौगंध अब पूरे देश में फैलेगी जी हां यहां पुजारी विशेष प्रकार की धान के चावल खाद्यान्न का महाप्रसाद वितरित करते थे जब इस महाप्रसाद की सुगंध चहूंओर फैली तो लोग इस चखकर आवक रह गए इसके बाद मामला कृषि विश्वविद्यालय तक पहुंचा और अनुसंधान होने के बाद यह पाया गया कि इस धान की सुगंध अपने आप में अनोखी और बेजोड़ हैं । साथ ही यह देश में कहीं भी नहीं पाई जाती इसके बाद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस सुगंधित चिन्नौर धान को जी आई टैग के लिए भेजा जिनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया। इसके साथ ही रीवा का सुगंधित आम का फल सुंदरजा को भी सम्मिलित रूप से जी आई टैग मिल गया है।

 

कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत एक बार फिर रंग लाई है जी हां गांव-गांव जाकर कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे अद्भुत बीजों की पहचान की है जो सालों पुराने हैंअनाज और आम के बीजों से अभी तक किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गई है। जो स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है इन बीजों को बचाने के लिए अब कृषि वैज्ञानिकों ने मुहिम छेड दी है ताकि विस्तार के साथ इन बीजों की खेतों में बुवाई हो सके और इससे मानव जीवन में होने वाले बीमारियों के संक्रमण पर अंकुश लगाया जा सकेl

 

जानकारी अनुसार रिसर्च टीम ने

गांव-गांव जाकर किसानों की ऐसी फसलों की पहचान की है, जो 1000 साल पुरानी हैं और इन फसलों की शुद्धता और खूबियों में आज तक किसी भी सीड उत्पादक, कृषि विश्वविद्यालय और कृषि वैज्ञानिकों ने छेड़छाड़ नहीं की गई।

कृषि वैज्ञानिकों ने जब खोज भी शुरू की तो प्रमुख रूप से बालाघाट के रामपली में पाए जाने वाली विशेष प्रकार की सुगंधित धान चिन्नौर और रीवा का सुंदर जा सुगंधित फल आम को चिन्हित किया गया ।

यह परांपरागत होने के साथ शुद्धता, उत्पादन, स्वाद और बीमारियों से लड़ने के तत्व मौजूद हैं, लेकिन किसान, इन्हें एक निश्चित मात्रा में ही पैदा करता है और उन्हें इसके अच्छे दाम भी नहीं मिलते। अब जनेकृविवि ने इस ओर खुद पहल करते हुए प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और मंडी बोर्ड के सहयोग से इन फसलों को बचाने की शुरुआत की।

इनके लिए विवि के रिसर्च विभाग ने इन फसलों का ज्योग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया था जिन्हें अब जी आई टैग मिल चुका है।

बालाघाट में हुआ था श्रीराम का आगमन

बालाघाट जिले को भगवान श्रीराम के आगमन के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं भगवान श्रीराम के क्रोधित रुप की प्रतिमा और मां सीता को अभयदान देने रुपी कालेपत्थर की वनवासी रुपी प्रतिमा के विराजमान होने के साथ ही एक पत्थर पर पग के निशान है, जो भगवान के वनवास के दिनों में बालाघाट में भ्रमण को दर्शाती है। बताया जाता है कि इसी मंदिर में प्रभु श्री राम को खीर का महाप्रसाद अर्पण किया जाता था जिसकी सुगंध अद्भुत हैl

 

रामपायली मंदिर में मूर्ति स्थापना की एक अलग गाथा

भगवान श्रीराम सीता के भ्रमण के साथ ही रामपायली मंदिर में वनवासी रुप की मूर्ति स्थापना की अलग गाथा है। यहां करीब 400 साल पहले एक व्यक्ति को स्वप्न दिखाई दिया था। जिसमें नदी के अंदर हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन उक्त मूर्ति के होने की जानकारी मिली थी। जिसके बाद उक्त स्थान से मर्ति को चंदन नदी से निकालकर एक पेड़ के नीचे स्थापित किया गया था इस स्थान को राम डोह के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद नागपुर के राजा भोसले ने सन 1665 में मंदिर का जीर्णोंद्धार कर मूर्ति की स्थापना की थी और 18 वीं शताब्दी में ठाकुर शिवराज सिंह ने मंदिर का नव निर्माण कर इसे आधुनिक रुप दिया था।

 

 

 

इन्होंने कहा…

कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है रामपायली की चिन्नौर धान और रीवा के सुगंधित फल सुंदरजा को जीआई टैग मिल गया है यह वैज्ञानिकों की मेहनत का फल है जिन्हें बड़े रकबे में बुवाई की आवश्यकता है ताकि हम सभी विशेष अनाजों को अपने खाद्यान्न के रूप में प्रयोग कर लाभ उठा सके। यहां रामपायल स्थित श्री राम के प्रसिद्ध मंदिर में इसी धान कि खीर का भोग लगाया जाता थाl

एसबी अग्रवाल, सीनियर साइंटिस्ट जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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