टूट रहा गन्ना व्यापार :व्यापारी तय करते हैं प्रत्येक सप्ताह गुड के दाम

मंडला l जिला पहले गन्ने की खेती के लिये प्रसिद्ध हुआ करता था लेकिन जिले में संचालित दो खाण्डसारी चीनी मिल के बंद होने के बाद इसका दायरा सीमित क्षेत्रों तक सिमट कर रह गया। गन्ने की खेती क्षेत्र मंज अब गिने चुने गांवों में ही होती है। इसके पीछे प्रमुख कारण सरकार द्वारा किसानों को गन्ने की फसल के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है।
इसके साथ ही किसान गन्ने से गुड़ बनाकर मंडी में बेचने तो पहुंचता है, लेकिन यहां भी गुड़ की खरीदी के लिए आने वाले व्यापारी अपनी मर्जी के हिसाब से किसानों के गुड़ का दाम तय करते है। जिससे किसानों को इस मंहगाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब गर्मी भी धीरे-धीरे अपने तेवर दिखाना शुरू कर दी है। तेज गर्मी से गुड़ को बचाने कृषि उपज मंडी में पर्याप्त शेड उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण तेज गर्मी में गुड़ पिघलने का भी अंदेशा बना रहता है। जिसके कारण व्यापारी भी ओने पौने दाम देकर किसानों की मेहनत को खरीद लेते है। लागत अधिक व फायदा कम होने के चलते क्षेत्र के किसानों का इस खेती से प्रत्येक साल मोह भंग होता जा रहा है। अगर समय रहते सरकार द्वारा कोई प्रोत्साहन नीति नहीं बनाई गई तो आने वाले कुछ वर्षों में मंडला जिले से इसकी खेती इतिहास के पन्नों में सिमट जायेगी।
सरकारी आंकड़े अनुसार जिले में विगत वर्ष 02 हजार 800 हेक्टेयर में गन्ने की फसल लगाई गई। वहीं इस वर्ष गन्ने के रकबे में मामूली वृद्धि हुई, जिसमें इस वर्ष 03 हजार हेक्टेयर में गन्ने की फसल लगाई गई है। जानकारी अनुसार मंडला में गन्ना उत्पादन को देखते हुये वर्षो पहले यहां रायपुर रोड में दो खाण्डसारी मिल संचालित थी, लेकिन उपेक्षा के शिकार गन्ना किसान बिना कार्यक्रम के इसकी पैदावार नहीं बढ़ा पाए। हर साल दस से बारह टन उत्पादन रहा है। इस बीच किसानो का रुझान गुड बनाने की तरफ बढ़ गया। जिसके चलते मिल में पर्याप्त गन्ना नहीं पहुंच पाया।
लगातार घाटे में चल रही खाण्डसारी मिल को मलिक ने बंद कर दिया है। इसके बाद जो गन्ना मिल में करीब 240 रुपए प्रति कुंवटल में बेचा जाता था। अब गुड़ बनाने वाले व बिचौलिया इसे कम कीमत में ले रहे है। इससे किसानो को नुकसान झेलना पड़ रहा है। मंडला कृषि उपज मंडी में प्रत्येक रविवार को लगने वाली गुड़ मंडी में गुड़ खरीदने वाले व्यापारी गुड़ देखकर गुड़ के दाम तय करते है, जिसके कारण विगत कईवर्षों से गुड़ के दाम 01 हजार से 1400 सौ रुपए के बीच ही झूल रहा है।