सुरक्षित नहीं हैं आपकी लाडो- हैवानियत की वारदातों ने शहर पर लगाया दाग,दो महीने की वारदातें खड़े कर रहीं सवाल
जबलपुर,यश भारत। शहर में बेटियोंं की सुरक्षा को लेकर भले ही लाख दावे कर लिए जाएं लेकिन हकीकत में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। बच्चियों के साथ दरिंदगी और हैवानियत की वारदातें लगातार बढ़ रही है। आए दिन दिन छोटी-छोटी बच्चियां हैवानियत का शिकार हो रही हंै। इन वारदातें से परिजन सहमे और डरे हुए हैं जो बच्चियां दरिंदगी का शिकार हो रही है उन्हें ऐसे जख्म मिल रहें है जो शायद जीवन न भर पायें। हाल में कुछ हैवानियत की वारदातों ने शहर पर दाग लगाया हैं कुुछ के आरोपित सलाखों के पीछे है तो अब भी फरार हैं। इन वारदातों ने बेटियों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
केस 2-मदनमहल थाना क्षेत्र में दो बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की गई। 57 वर्षिय व्यक्ति ने घर के बाहर खेल रही बच्चियों को पहले पास बुलाया इसके बाद उनके साथ छेड़छाड़ की गई।
केस 3-24 वर्षीय कॉलेज छात्रा जब कॉलेज जा रही थी तभी रास्ते में सैफ अली ने उसे रोका और धमकाते हुए अपहरण कर ले गया होटल में उसके साथ रेप किया। डर से उसने पढ़ाई तक छोड़ दी है।
केस 4-लार्डगंज थाना क्षेत्र स्थित एक मंदिर के पुजारी ने नाबालिग बच्ची के साथ छेड़छाड़ की। पुजारी प्रसाद देने के बहाने छेड़छाड़ करता था। यह घटनाक्रम सीसीटीव्ही कैमरे में कैद हुआ था।
बदमानी का डर, थानों की चौखट से दूरी-कई तो ऐसी भी हैवानियत की वारदातें होती जो थानों की चौखट तक बदनामी के डर से नहीं पहुंच पाती हंै। अगर मामले थाने की चौखट तक पहुंच भी जाएं तो पुलिस का रवैया किसी से छिना नहीं है। जैसे तैसे एफआईआर हो भी जाएं तो आरोपित फरार हो जाते हंै और पीडि़तों को धमकाते हुए दबाव बनाते हैं ऐसे अनेक मामले पूर्व में प्रकाश में आ चुके हैं।
चंद दिनों में विरोध की आच हो जाती है ठंडी-महिलाओं, बालिकाओं के साथ हर दिन अपराध बढ़ रहे है। जब हैवानियत-दरिंदगी की वारदातेेंं प्रकाश में आता हैं तो शहर की सडक़ों पर कैंडल मार्च निकलते है, धरने प्रदर्शन होते है। राजनीतिक गलियारों में भी विरोध के सुर तेज हो जाते है, हर तरह हंगामा, विरोध प्रदर्शन दिखाई देते है लेकिन चंद दिनों में इन विरोध की आंच ठंडी पड़ जाती है। कुछ तो सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सडक़ों पर उतरते हैं।
कोड रेड-महिला टास्क फोर्स लापता-एक समय था जब महिलाओं, बालिकों की सुरक्षा के मद्देनजर बहुचर्चित अभियान शुरू किए गए। पहले कोड रेड शुरू हुई जिसके सामने मनचले थरथर कांपते थे। लेकिन समय के साथ यह कोड रेड पुलिस शहर की सडक़ों से गायब हो गई। बल की कमी का रोना आड़े आया। इसके बाद कोड रेड की तर्ज पर ही महिला टास्क फोर्स शुरू हुई जो भी सडक़ों से गायब हो गई हंै ऐसे में शोहदे राह चलती महिलाओं, बालिकों, युवतियों से बेखौफ छेड़छाड़ की वारदातें कर रहे हैं।
इनका कहना है-आनंद कलादगी, एएसपी, सिटीऐसे कॉलेज और स्कूल चिन्हित कर लिए गए हैं जहां मनचले सक्रिय होते है। महिला सुरक्षा को लेकर यहां चैकिंग बढ़ेगी। पुलिस सिविल डे्रस में इन शोहदों पर नजर रखते हुए कार्यवाही भी करेगी। इसके साथ ही कॉलेज-स्कूल में जागरूकता अभियान में पुलिस द्वारा चलाये जा रहे हैं